सारस न्यूज, वेब डेस्क।
आज ज 1 अगस्त 1920 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध एक निर्णायक संघर्ष की शुरुआत करते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ का एलान कर दिया है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की नीतियों और रौलट एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों के विरोध में छेड़ा गया है, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
महात्मा गांधी ने देशवासियों से अपील की है कि वे अंग्रेजी हुकूमत के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग बंद करें। उन्होंने विशेष रूप से सरकारी नौकरियों, ब्रिटिश शिक्षा संस्थानों, न्यायालयों और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का आग्रह किया है। यह आंदोलन पूरी तरह से अहिंसात्मक और सत्याग्रह की भावना से प्रेरित होगा।
इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और रौलट एक्ट जैसे क्रूर घटनाक्रम रहे हैं, जिनके कारण देशभर में रोष व्याप्त है। गांधीजी का मानना है कि यदि भारतवासी एकजुट होकर शांतिपूर्ण असहयोग करें, तो ब्रिटिश साम्राज्य को झुकने पर मजबूर किया जा सकता है।
आंदोलन के पहले चरण में वकीलों ने अदालतों से इस्तीफे देने शुरू कर दिए हैं, छात्र कॉलेज छोड़ रहे हैं, और लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाकर स्वदेशी वस्त्रों को अपनाना शुरू कर दिया है।
देशभर में गूंजा नारा – “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो!”
देश के विभिन्न हिस्सों में सभाएं हो रही हैं, लोग गांधीजी के नेतृत्व में खुलकर आंदोलन में भाग ले रहे हैं। हालांकि अंग्रेज़ी सरकार ने इसे विद्रोह करार दिया है, गांधीजी ने बार-बार ज़ोर देकर कहा है कि यह आंदोलन सत्य, अहिंसा और आत्म-बलिदान की नींव पर आधारित है।
