भारतीय संगीत जगत की एक अनमोल धरोहर, शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान अब हमारे बीच नहीं रहे। 90 वर्ष की आयु में उन्होंने वाराणसी के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है।
भारत रत्न से सम्मानित उस्ताद बिस्मिल्ला खान न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में शहनाई को एक विशिष्ट पहचान दिलाने वाले कलाकार थे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को आम जनमानस से जोड़ने का काम किया और शहनाई को मंदिरों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया।
उनका जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय वाराणसी में बिताया। गंगा, बनारस और शहनाई—इन तीनों से उनका गहरा नाता था। उस्ताद की शहनाई की मधुर धुनें आज भी देशवासियों के दिलों में गूंजती हैं।
उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया था। वे यह सम्मान पाने वाले बहुत ही कम संगीतकारों में से एक थे।
देश ने आज एक सच्चा रत्न खो दिया है। कला, संस्कृति और संगीत को समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खान का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
“जब तक शहनाई बजेगी, उस्ताद की यादें जीवित रहेंगी।”
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
भारतीय संगीत जगत की एक अनमोल धरोहर, शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान अब हमारे बीच नहीं रहे। 90 वर्ष की आयु में उन्होंने वाराणसी के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है।
भारत रत्न से सम्मानित उस्ताद बिस्मिल्ला खान न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में शहनाई को एक विशिष्ट पहचान दिलाने वाले कलाकार थे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को आम जनमानस से जोड़ने का काम किया और शहनाई को मंदिरों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया।
उनका जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय वाराणसी में बिताया। गंगा, बनारस और शहनाई—इन तीनों से उनका गहरा नाता था। उस्ताद की शहनाई की मधुर धुनें आज भी देशवासियों के दिलों में गूंजती हैं।
उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया था। वे यह सम्मान पाने वाले बहुत ही कम संगीतकारों में से एक थे।
देश ने आज एक सच्चा रत्न खो दिया है। कला, संस्कृति और संगीत को समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खान का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
“जब तक शहनाई बजेगी, उस्ताद की यादें जीवित रहेंगी।”
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