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30 अगस्त का इतिहास एवं देश विदेश की महत्वपूर्ण घटनाएं।

सारस न्यूज, वेब डेस्क।

30 अगस्त 1574 – गुरु राम दास जी को सिख धर्म का चौथा गुरु नियुक्त किया गया।
30 अगस्त 1659 – मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को धार्मिक आधार पर फाँसी दी और उसकी शव यात्रा दिल्ली में करवाई।
30 अगस्त 1682 – विलियम पेन इंग्लैंड से अमेरिका के लिए रवाना हुए, जहाँ उन्होंने पेंसिल्वेनिया कॉलोनी की स्थापना की।
30 अगस्त 1773 – मराठा साम्राज्य के पेशवा नारायणराव की हत्या उनके चाचा रघुनाथराव द्वारा करवाई गई।
30 अगस्त 1780 – अमेरिकी जनरल बेनेडिक्ट अर्नोल्ड ने ब्रिटिश सेना को वेस्ट पॉइंट किला सौंपने का वादा किया, जो बाद में देशद्रोह के रूप में जाना गया।
30 अगस्त 1797 – प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखिका मैरी शेली का जन्म हुआ, जिन्होंने “Frankenstein” उपन्यास लिखा।
30 अगस्त 1799 – बैटेवियन नौसेना ने ब्रिटिश सेना के सामने आत्मसमर्पण किया।
30 अगस्त 1800 – गैब्रियल प्रोसेर ने अमेरिका के रिचमंड, वर्जीनिया में गुलामों का विद्रोह शुरू किया।
30 अगस्त 1813 – कुल्म की लड़ाई में फ्रांसीसी सेना को ऑस्ट्रिया-प्रशिया-रूस की संयुक्त सेना ने हराया।
30 अगस्त 1835 – ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर की स्थापना हुई।
30 अगस्त 1836 – अमेरिका के ह्यूस्टन शहर की स्थापना हुई।
30 अगस्त 1945 – जापान ने हांगकांग पर अपना कब्जा समाप्त कर ब्रिटिश साम्राज्य को सौंप दिया; इसे “मुक्ति दिवस” कहा गया।
30 अगस्त 1963 – अमेरिका और सोवियत संघ के बीच “हॉटलाइन” की शुरुआत हुई, जिससे दोनों देशों के नेता सीधे संवाद कर सकते थे

30 अगस्त 1659 – मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को धार्मिक आधार पर फाँसी दी और उसकी शव यात्रा दिल्ली में करवाई।

30 अगस्त 1659 – दारा शिकोह की हत्या का ऐतिहासिक प्रसंग
दारा शिकोह मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का सबसे बड़ा पुत्र था और उसे ही अगला उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
वह धार्मिक रूप से उदार, हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थक और सूफी विचारधारा से प्रभावित था। उसने 52 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया था, जिससे भारतीय दर्शन को वैश्विक पहचान मिली।
उसकी सोच और धार्मिक सहिष्णुता कट्टरपंथी मुस्लिम वर्ग को नागवार गुजरती थी।
औरंगज़ेब, उसका छोटा भाई, सत्ता के लिए लालायित था और दारा की धार्मिक विचारधारा को “काफिराना” कहकर प्रचारित करता था।
दारा को सामूगढ़ (1658) और देवराई (1659) की लड़ाइयों में पराजित किया गया।
अंततः 30 अगस्त 1659 को दिल्ली में, औरंगज़ेब ने दारा को धार्मिक आधार पर “काफिर” घोषित कर फाँसी की सज़ा दी।
उसका सिर काटकर आगरा भेजा गया, जहाँ उसे किले में सार्वजनिक रूप से लटकाया गया।
धड़ को दिल्ली में हुमायूं के मकबरे परिसर में दफनाया गया, लेकिन सिर को अलग रखने की यह क्रूरता मुग़ल इतिहास में अद्वितीय है।
दारा के पुत्र सुलेमान शिकोह को भी बाद में औरंगज़ेब ने बंदी बनाकर मार डाला, जबकि छोटे पुत्र सिपहर शिकोह को बख़्श दिया गया और उसकी शादी औरंगज़ेब की बेटी से कर दी गई।
दारा शिकोह को आज भी हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक समन्वय, और भारतीय दर्शन के प्रचारक के रूप में सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।

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