विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
भाई-बहन के अटूट प्रेम व निष्ठा का त्योहार रक्षा-बंधन सीमा क्षेत्र के गलगलिया में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांधकर मिठाइयां खिलाईं। वहीं भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट किए। चहुंओर बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा है, भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना, मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन आदि गीतों ने रक्षा बंधन के इस त्योहार को और भी उत्सवी बना दिया। खासकर छोटी बच्चियां अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने को लेकर ज्यादा उत्साहित दिखीं। वहीं त्योहार को लेकर एक दिन पहले से ही बाजारों में चहल-पहल देखी गई। रंग-बिरंगी राखियों व मिठाई से सजी दुकानों पर छोटी बच्चियों समेत युवतियों की विशेष भीड़ रही। इस पावन मौके पर बहनों को गिफ्ट देने को लेकर युवक व बच्चे भी जमकर खरीदारी करते देखे गए। सुबह से ही बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांध उसकी लंबी आयु की कामना की जबकि इस दौरान भाईयों ने भी रक्षा का संकल्प लिया।
ऐसी है कथा प्रचलित
इस पर्व के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल में 12 वर्षो तक देवासुर संग्राम में असुरों के स्वर्ग पर अधिपत्य कर लेने के कारण चिंतित इंद्र देवगुरु वृहस्पति के पास जाकर बोले कि मैं सब तरह से असुरक्षित हूं। ऐसी स्थिति में युद्ध ही अनिवार्य है जबकि अब तक के युद्ध में हमारी पराजय ही हुई है। उक्त बातों को सुनकर इंद्राणी बोली कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है उसी दिन मैं विधान पूर्वक रक्षा सूत्र तैयार करूंगी आप उसे स्वस्तिवाचन पूर्वक ब्राह्माणों से बंधवा लीजिएगा। इससे आप विजयी होंगे। तत्पश्चात दूसरे दिन इंद्र ने रक्षा विधान और स्वस्तिवाचन पूर्वक रक्षाबंधन कराया जिसके प्रभाव से वे विजयी हुए। तब से यह पर्व रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें भाईयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घ जीवन की कामना करती है।