सारस न्यूज, बिहार/ किशनगंज।
मैंने खोजा अपने बचपन को मैंने खोजा अपने बचपन को आवाज लगाई बहुतेरी। न जाने क्यूँ सताती है, मुझे याद बचपन तेरी? कहाँ गुम हो गई,हँसी ठिठोली धूल सनी साखियों की टोली, आमो की बगिया में खेले ऐ बचपन तुझ संग आँख मिचौली। मम्मी-पापा से छुप-छुप कर बगिया के माली से डर कर, चोरी - चोरी फूल चुराना आम चुराते बारी-बारी। क्यूँ छोड़ गया तू बचपन मुझको? कहाँ गुम हो गई हँसी ठिठोली ना बचपन वाले गीत सुहाने, ना कीचड़ वाली होली। बिंदु अग्रवाल किशनगंज,बिहार