Saaras News – सारस न्यूज़ – चुन – चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

सिलीगुड़ी शहर समेत आसपास इलाकों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद पर्व।

चंदन मंडल, सिलीगुड़ी।

रमजान के पवित्र माह का चांद दिखाई देने के बाद मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर शनिवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी प्रखंड क्षेत्र में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। विभिन्न मस्जिदों व ईदगाहों में विशेष नमाज अदा कर मुस्लिम भाईयों ने अमन की दुआ मांगी। वहीं नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की बधाई दी। ईद को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा। ईद को लेकर सुबह से ही नये वस्त्र पहनकर मस्जिद व ईदगाह में मुस्लिम भाईयों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। निर्धारित समय पर विशेष नमाज अदा की गयी। ईदगाहों व मस्जिदों में मेले जैसा दृश्य था। बच्चे खिलौने व खाने- पीने की चीज खरीदने के लिए आतुर रहे। जबकि सभी धर्म समुदाय के लोग एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देते रहे।दूसरी ओर ईद पर्व को लेकर किसी प्रकार की अप्रिय घटना न घटित हो इसके लिए पुलिस प्रशासन मस्जिदों, चौंक व अन्य धार्मिक स्थानों पर मुस्तैद थे।

आखिरी जुमे पर अल्लाह से मिल्लत की मांगी गई दुआ,जमकर हुई खरीदारी

माह-ए-रमजान के आखिरी जुमे पर शुक्रवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी में अलविदा की नमाज अदा की गयी। नमाज अदा करने वालों में जवान और बुजुर्ग ही नहीं छोटे बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान सड़कों पर काफी चहल पहल दिखाई पड़ी। अलविदा की नमाज के बाद बच्चों में ईद पर्व पर कपड़े, जूते चप्पल आदि खरीदने की खुशी देखी गई। नमाज के बाद देर शाम तक सामानों, सेवई, रेडिमेड कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी करने को भीड़ देखी गई। शुक्रवार की की रात चांद देखने के बाद शनिवार को ईद मनायी गई।अलविदा की नमाज के दौरान मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ उमड़ी। नमाज के दौरान लोगों ने अल्लाह से मुल्क, कौम व मिल्लत की दुआ मांगी। लोगों के हाथ इबादत के लिए उठे तो उनके मुंह से सिर्फ शांति की बात निकली। अलविदा नमाज के दौरान राेजेदारों में इस बात का भी मलाल था कि पवित्र माह अब समाप्त हो रहा है। लोगों के चेहरे पर पाक महीने की समाप्ति का गम था।

ईद की खुशी , शीर खुरमा और सेवईयां

30 दिन के रोज़ों के बाद ईद का त्यौहार आता है । ईद के अवसर पर हर मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के घर में तरह – तरह के पकवान बनाए जाते हैं। ईद के व्यंजन न सिर्फ खाने में बेहद लज़ीज़ होते हैं, वरन पचने में भी आसान होते हैं। रमजान के 30 दिनों की इबादत के बाद लजीज व्यंजनों का सिलसिला शुरू हो जाता है । इस मौके पर शीरखुरमा और सेवइयां तो बनती ही है , साथ ही नमकीन चीज़ों के बिना भी यह त्योहार अधूरा माना जाता है। इस शीर खुरमा और सेवइयां खाने के लिए लोग जरूर जाते हैं और गले मिलकर ईद मुबारक की बधाईयां देते हैं।

रमजान का पाक व मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को देता है बढ़ावा

नक्सलबाड़ी जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद दाराजुद्दीन ने बताया कि रमजान का पाक व मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को बढ़ावा देता है। ऐसे में मुस्लिम संप्रदाय के लोगों को रमजान में निश्चित तौर पर रोजा रखना चाहिए। रोजा में अपने मन व इंद्रियों पर नियंत्रण रख कर जो भी सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करता है उसे बरकत जरूर नसीब होती है। अल्लाह ने अपने बंदों को यह बतला दिया है कि तुम नमाज पढ़ोगे तो मैं उसका सवाब दूंगा। हज करो तो उसका अज्र दूंगा, जकात दोगे तो उसका नेकी दूंगा लेकिन जब तुम रोजे के इम्तिहान में कामयाब हो जाओ तो मैं खुद ही तुम्हारा हो जाऊंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *