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टीबी मुक्त कराने को लेकर खोरीबाड़ी में जागरूकता कार्यक्रम का किया गया आयोजन

विशेष संवाददाता, सारस न्यूज़, दार्जिलिंग।

खोरीबाड़ी: 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के भारत सरकार के लक्ष्य को देखते हुए खोरीबाड़ी स्वास्थ्य विभाग भी तत्पर है। इसी कड़ी में सोमवार को खोरीबाड़ी ग्रामीण अस्पताल की ओर से दूधगेट स्थित दुलालजोत नेपाली प्राथमिक स्कूल में टीबी मुक्त बांग्ला को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया । टीबी रोग के लक्षण और इलाज के बारे में आम लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच जागरूकता संदेश भी दिया गया । इसके अलावा कार्यक्रम के माध्यम से टीबी रोगियों में खाद्य सामग्रियां भी वितरित की गई। साथ ही तीन स्थानीय स्कूलों को पुरस्कृत भी किया गया । इस संबंध में स्वास्थ्य अधिकारी नित्यानंद पाल ने कहा कि टीबी का पता चलने पर उचित चिकित्सा देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है । पिछले साल टीबी रोग से 100 लोग ठीक हुए थे । टीबी रोगियों के साथ – साथ संक्रमितों के परिवार के सदस्यों का भी जांच किया गया था । टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अक्सर ऐसा देखा जाता है ।टीबी बीमारियों में कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में ये सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो सभी लोग एक छोटी सी झुग्गी झोपड़ी में ही रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी का संक्रमण फैल जाता है। उन्होंने बताया कि साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के संकल्प पर काम चल रहा है। इसके अलावा हारेगा टीबी जीतेगा इंडिया अभियान जारी है। इसके तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। 

टीबी है तो इलाज भी है: खोरीबाड़ी बीएमओएच सफीउल आलम ने बताया कि टीबी के संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने एवं थूकने से फैलती है। दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक खांसी, बलगम और बुखार, बलगम या थूक के साथ खून का आना, छाती में दर्द की शिकायत, भूख कम लगना, वजन में कमी आना आदि इसके लक्षण हैं। अब तो टीबी का सटीक इलाज भी है। लेकिन इसके लिए लोगों को जागरूक होना होगा। इलाज में देरी करने पर यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है, जो शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करने वाली यह एक संक्रमित बीमारी है। इसलिए टीबी के लक्षण को नज़रंदाज़ ना करें।


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