विशेष संवाददाता, सारस न्यूज़, पश्चिम बंगाल।
फोटो में ठाकुरगंज से सटे खोरीबाड़ी (गांव डोहागुड़ी) में इस मक्खी की चपेट में आने से एक युवक हसरत कि गर्दन पर इसका प्रभाव स्पस्ट देखा जा सकता है। हसरत ने बताया की कई लोग इसकी चपेट में आ रहे है, हालांकि डाक्टरों ने बताया है की यदि कोई इसकी चपेट में आया तो भी दो से तीन दिन में इसका प्रभाव ख़त्म हो जायेगा।
डाक्टरों का कहना है कि कि इस मक्खी को लेकर ज्यादा पैनिक नहीं होना चाहिए। बस सावधान रहना है। इसका उपचार हमारे पास है। यह मक्खी शरीर पर बैठे या चिपके तो उसे छूने पर, या इसे मसलने से यह एसिड जैसे जहरीला पदार्थ छोड़ती है, जिसे पेडरिन नाम से जाना जाता है। इस पेडरिन के त्वचा के सम्पर्क में आने से यह रासायनिक जलन पैदा करता है। आंखों को मसलते वक्त अगर यह खतरनाक पेडरिन आंखों तक पहुंच जाता है तो कुछ देर के लिए संक्रमित व्यक्ति अंधेपन में भी चला जाता है। चिकित्सकों की सलाह है कि शरीर पर इसके बैठने या चिपकने का अगर किसी को पता चलता है तो इसे धीरे से फूंक मारकर उड़ा देना चाहिए, या फिर ब्रश करके इस एसिड फ्लाई को हटा देना चाहिए। उसके बाद त्वचा को साबुन से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए।