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बंगाल सीमांत के गलगलिया-भद्रपुर लिंक रोड पर अंधेरा कायम, तस्करों के लिए हो रहा है वरदान साबित।

चंदन मंडल, सारस न्यूज़,खोरीबाड़ी।

खोरीबाड़ी : विकास एवं व्यापार को गति देने के लिए सरकार लगातार सड़को का निर्माण कर रही है। जिससे विकास एवं व्यापार को गति भी मिल रही है। बावजूद बंगाल सीमांत के गलगलिया-भद्रपुर (नेपाल) लिंक रोड पर अंधेरा कायम है। गलगलिया और नेपाल के भद्रपुर मेची ब्रिज को जोड़ने वाली ये सड़क रात के अंधेरे में किसी बड़े हादसे को दावत दे रही है।

बताते चले कि नेपाल सरकार द्वारा मेची नदी पर 37 करोड़ की लागत से 560 मीटर लम्बे पुल के निर्माण के करीब दो वर्षों बाद भारत की ओर से 854.50 लाख की लागत से  लगभग 2 किलोमीटर लंबे लिंक रोड का निर्माण इंडो-नेपाल सीमा बंद होने के बावजूद कोरोना काल  में कराया गया था। लेकिन स्ट्रीट लाइट लगाने की जहमत नहीं उठाई गई। ज्ञात हो कि 18 माह बाद गत 28 अक्टूबर से गलगलिया भद्रपुर सीमा से परिचालन सामान्य होने के बाद इस रोड पर वाहनों एवं यात्रियों का दवाब बढ़ गया है। रात के अंधेरे में इस सुनसान सड़क पर वाहनों एवं पैदल यात्रियों का चलना खतरे से खाली नहीं है। रात के अंधेरे में किसी भी समय कोई दुर्घटना घट सकती है लेकिन शायद प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस लिंक रोड के एक तरफ सुनसान मेची नदी है और दूसरी ओर खाली मैदान हैं एवं इस सड़क से पैदल चलने वाले यात्रियों की संख्या अधिक है। इन पैदल चलने वाले यात्रियों को इस अंधेरे सड़क पर जहरीले सांपों का दंश भी सताती है।

पैदल आवागमन करने वाले यात्री न सिर्फ बिहार के हैं, बल्कि काफी संख्या में बंगाल के दार्जिलिंग जिला अंतर्गत खोरीबाड़ी प्रखंड के डांगुजोत, देवीगंज, सोनापिण्डी, नायाहाट, मायनागुड़ी, चक्करमारी, सिंघयाजोत, भालूगाड़ा, डुब्बाजोत, सहित दर्जनों गांवों से अधिक के लोग रोजी-रोटी की तलाश में इस सड़क से आवागमन करते हैं। इसी सड़क के शुरुआत में 41 वीं वाहिनी की रानीडांगा अंतर्गत भातगांव की बीओपी एवं गलगलिया कस्टम की कार्यालय भी स्थित है। जिन्हे शाम के बाद अंधेरे में वाहनों की जांच करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है एवं टॉर्च लाइट से काम करना पड़ता है। साथ ही अंधेरा होते ही इस सड़क से होकर तस्करी का खेल भी शुरू हो जाता है। तस्करी के इस खेल में न सिर्फ स्थानीय बल्कि प्रशासन के लोग भी अंधेरा होते ही इसमें व्यस्त हो जाते हैं। तस्करों के लिए यह अंधेरा एक वरदान साबित हो रही है। बावजूद इस लिंक रोड पर प्रकाश की व्यवस्था नहीं की गई। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व इस सीमा पर सीमा विकास योजनान्तर्गत एक टावर स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी, जो चार-दिन की चांदनी बिखेर कर लुप्त हो गई और पिछले तीन वर्षो से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। वहीं भातगांव प्रधान प्रतिनिधि ब्रिज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने उक्त टावर स्ट्रीट लाइट को फिर से जलवाने की बात कही है।

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