हाल में राज्य में सात नए जिले बनने के बाद सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसके समर्थन में कांग्रेस खुलकर सड़क पर आ गई है। अलग जिले की मांग को लेकर गुरुवार को नगर कांग्रेस कमेटी की रैली निकाली गई, जो हिलकार्ट रोड, सेवक मोड़ की परिक्रमा करते हुए पुन: हाशमी चौक पर आकर समाप्त हो गई। रैली का नेतृत्व दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर मालाकार कर रहे थे।
इस मौके पर शंकर मालाकार ने कहा कि सिलीगुड़ी शहर को उसके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। राज्य में सात नए जिले घोषित किए गए हैं, लेकिन उस सूची में सिलीगुड़ी को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सुंदरवन को जिला बनाए जाने का वह स्वागत करते हैं, लेकिन बाकी के छह जिले राजनीतिक लाभ के लिए बनाए गए हैं। वर्ष 2023 में होने वाले पंचायत चुनाव व 2024 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से नए जिले बनाने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी को जिला बनाए जाने की मांग काफी पुरानी है। पिछले 17 सालों से सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग हो रही है। वह स्वयं कई बार विधानसभा में इसकी मांग कर चुके हैं। कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है। विभिन्न संगठनों व संस्था-समितियों द्वारा भी इसकी मांग समय-समय पर होती रही है। अब समय आ गया है कि भौगोलिक तौर पर पश्चिम बंगाल के प्रमुख शहर सिलीगुड़ी को जिला बनाया जाए।
बताते चलें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राज्य में 7 नए जिले बनाने की घोषणा की गई है। इसी के साथ राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। इससे पहले भी राज्य में चार नए जिले बनाए गए थे, जिसमें उत्तर बंगाल से अलीपुरद्वार व कालिम्पोंग को अलग जिला बनाया गया था। हालांकि उस समय भी सिलीगुड़ी अलग जिला बनते- बनते रह गया था। सिलीगुड़ी के लोगों को इस बार पूरी उम्मीद थी कि सिलीगुड़ी अलग जिला जरूर बनेगा,लेकिन यहां के लोगों की उम्मीदों को एक बार फिर से झटका लगा है।
दरअसल जिस तरह से सिलीगुड़ी की आबादी दिनों दिन लगातार बढ़ती चली जा रही है, ऐसे में सिलीगुड़ी के जिला बनने की संभावना को बल मिल रहा है। ज्ञात हो कि सिलीगुड़ी दार्जिलिंग जिला के अंतर्गत आता है। ऐसे में सिलीगुड़ी के लोगों को अपने प्रशासनिक कार्यो के लिए दार्जिलिंग जाना होता है। कुछ भाग जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत भी है। यहां के लोगों का कहना है कि इससे समय व पैसे दोनों की बर्बादी होती है। शासन -प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने तथा विकास की रफ्तार तेज करने के लिए सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाना जरूरी है।
सारस न्यूज,सिलीगुड़ी।
हाल में राज्य में सात नए जिले बनने के बाद सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसके समर्थन में कांग्रेस खुलकर सड़क पर आ गई है। अलग जिले की मांग को लेकर गुरुवार को नगर कांग्रेस कमेटी की रैली निकाली गई, जो हिलकार्ट रोड, सेवक मोड़ की परिक्रमा करते हुए पुन: हाशमी चौक पर आकर समाप्त हो गई। रैली का नेतृत्व दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर मालाकार कर रहे थे।
इस मौके पर शंकर मालाकार ने कहा कि सिलीगुड़ी शहर को उसके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। राज्य में सात नए जिले घोषित किए गए हैं, लेकिन उस सूची में सिलीगुड़ी को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सुंदरवन को जिला बनाए जाने का वह स्वागत करते हैं, लेकिन बाकी के छह जिले राजनीतिक लाभ के लिए बनाए गए हैं। वर्ष 2023 में होने वाले पंचायत चुनाव व 2024 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से नए जिले बनाने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी को जिला बनाए जाने की मांग काफी पुरानी है। पिछले 17 सालों से सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग हो रही है। वह स्वयं कई बार विधानसभा में इसकी मांग कर चुके हैं। कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है। विभिन्न संगठनों व संस्था-समितियों द्वारा भी इसकी मांग समय-समय पर होती रही है। अब समय आ गया है कि भौगोलिक तौर पर पश्चिम बंगाल के प्रमुख शहर सिलीगुड़ी को जिला बनाया जाए।
बताते चलें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राज्य में 7 नए जिले बनाने की घोषणा की गई है। इसी के साथ राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। इससे पहले भी राज्य में चार नए जिले बनाए गए थे, जिसमें उत्तर बंगाल से अलीपुरद्वार व कालिम्पोंग को अलग जिला बनाया गया था। हालांकि उस समय भी सिलीगुड़ी अलग जिला बनते- बनते रह गया था। सिलीगुड़ी के लोगों को इस बार पूरी उम्मीद थी कि सिलीगुड़ी अलग जिला जरूर बनेगा,लेकिन यहां के लोगों की उम्मीदों को एक बार फिर से झटका लगा है।
दरअसल जिस तरह से सिलीगुड़ी की आबादी दिनों दिन लगातार बढ़ती चली जा रही है, ऐसे में सिलीगुड़ी के जिला बनने की संभावना को बल मिल रहा है। ज्ञात हो कि सिलीगुड़ी दार्जिलिंग जिला के अंतर्गत आता है। ऐसे में सिलीगुड़ी के लोगों को अपने प्रशासनिक कार्यो के लिए दार्जिलिंग जाना होता है। कुछ भाग जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत भी है। यहां के लोगों का कहना है कि इससे समय व पैसे दोनों की बर्बादी होती है। शासन -प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने तथा विकास की रफ्तार तेज करने के लिए सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाना जरूरी है।
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