नक्सलबाड़ी: भारत – नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 41वीं वाहिनी की सी कंपनी पानीटंकी के जवानों ने एक बांग्लादेशी नागरिक को अपने हिरासत में लिया है। बांग्लादेशी नागरिक का नाम मोहंता बर्मन (47) है। वह बांग्लादेश के ठाकुरगांव जिला का निवासी है। एसएसबी ने उसे सीमा स्तंभ संख्या 90/2 के पास एक विशेष अभियान के दौरान पकड़ा। पूछताछ में उसके पास से भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड और बांग्लादेशी राष्ट्रीय पहचान पत्र बरामद हुआ। एसएसबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त बांग्लादेशी नागरिक 10-11 महीने पहले भारत आया था और रोजगार के उद्देश्य से कई स्थानों पर रह रहा था। वह बांग्लादेशी मूल के एक अज्ञात व्यक्ति की मदद से भारत-बांग्लादेश सीमा पर अनधिकृत मार्ग से भारत आया था, जिसने उसे हल्दीबाड़ी के पास भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने में मदद की थी।उसने यह भी बताया कि वह वर्तमान में 11 महीने से भावेश सिंहा बिल्डिंग, काली माता मंदिर, रानीगंज पुलिस चौकी, पानीटंकी के निकट, में रह रहा है। बाद में एसएसबी ने अपनी सारी कागजी कार्रवाई करने के बाद बांग्लादेशी नागरिक को खोरीबाड़ी थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने शुक्रवार बांग्लादेशी नागरिक को सिलीगुड़ी अदालत में पेश किया। गौरतलब है कि बीते मंगलवार शाम को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 41वीं वाहिनी के सी कंपनी पानीटंकी के जवानों ने सुकुमार चंद्र शील नामक बांग्लादेशी नागरिक को अपने हिरासत में लिया था। सुकुमार चंद्र शील नक्सलबाड़ी के रथखोला के खालबस्ती गांव में झंटू कुमार राय के घर में 1000 रुपये किराए पर रह रहा था। वह नक्सलबाड़ी के खालबस्ती गांव में सातभइया पुल के पास माधव सैलून में नाई का काम कर रहा था। उसी दौरान एसएसबी ने एक विशेष अभियान के दौरान उसे पकड़ लिया।
बांग्लादेशी नागरिक रोजगार के लिए भारत में हो रहे पलायन
मोहंता बर्मन ने कहा शांतिपूर्ण जीवन के लिए भारत में प्रवेश करने का फैसला लिया। उसने दावा किया कि वह केवल रोजगार के लिए भारत आया था और उसका कोई आपराधिक मकसद नहीं था। जबकि सुकुमार ने एसएसबी को बताया कि बांग्लादेश में कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने उसकी पत्नी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भी यह उत्पीड़न जारी रहा, जिसके कारण उसने अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन के लिए भारत में प्रवेश करने का फैसला लिया। उसने भी दावा किया था कि वह केवल रोजगार के लिए भारत आया था और उसका कोई आपराधिक मकसद नहीं था।
सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।
नक्सलबाड़ी: भारत – नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 41वीं वाहिनी की सी कंपनी पानीटंकी के जवानों ने एक बांग्लादेशी नागरिक को अपने हिरासत में लिया है। बांग्लादेशी नागरिक का नाम मोहंता बर्मन (47) है। वह बांग्लादेश के ठाकुरगांव जिला का निवासी है। एसएसबी ने उसे सीमा स्तंभ संख्या 90/2 के पास एक विशेष अभियान के दौरान पकड़ा। पूछताछ में उसके पास से भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड और बांग्लादेशी राष्ट्रीय पहचान पत्र बरामद हुआ। एसएसबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त बांग्लादेशी नागरिक 10-11 महीने पहले भारत आया था और रोजगार के उद्देश्य से कई स्थानों पर रह रहा था। वह बांग्लादेशी मूल के एक अज्ञात व्यक्ति की मदद से भारत-बांग्लादेश सीमा पर अनधिकृत मार्ग से भारत आया था, जिसने उसे हल्दीबाड़ी के पास भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने में मदद की थी।उसने यह भी बताया कि वह वर्तमान में 11 महीने से भावेश सिंहा बिल्डिंग, काली माता मंदिर, रानीगंज पुलिस चौकी, पानीटंकी के निकट, में रह रहा है। बाद में एसएसबी ने अपनी सारी कागजी कार्रवाई करने के बाद बांग्लादेशी नागरिक को खोरीबाड़ी थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने शुक्रवार बांग्लादेशी नागरिक को सिलीगुड़ी अदालत में पेश किया। गौरतलब है कि बीते मंगलवार शाम को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 41वीं वाहिनी के सी कंपनी पानीटंकी के जवानों ने सुकुमार चंद्र शील नामक बांग्लादेशी नागरिक को अपने हिरासत में लिया था। सुकुमार चंद्र शील नक्सलबाड़ी के रथखोला के खालबस्ती गांव में झंटू कुमार राय के घर में 1000 रुपये किराए पर रह रहा था। वह नक्सलबाड़ी के खालबस्ती गांव में सातभइया पुल के पास माधव सैलून में नाई का काम कर रहा था। उसी दौरान एसएसबी ने एक विशेष अभियान के दौरान उसे पकड़ लिया।
बांग्लादेशी नागरिक रोजगार के लिए भारत में हो रहे पलायन
मोहंता बर्मन ने कहा शांतिपूर्ण जीवन के लिए भारत में प्रवेश करने का फैसला लिया। उसने दावा किया कि वह केवल रोजगार के लिए भारत आया था और उसका कोई आपराधिक मकसद नहीं था। जबकि सुकुमार ने एसएसबी को बताया कि बांग्लादेश में कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने उसकी पत्नी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भी यह उत्पीड़न जारी रहा, जिसके कारण उसने अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन के लिए भारत में प्रवेश करने का फैसला लिया। उसने भी दावा किया था कि वह केवल रोजगार के लिए भारत आया था और उसका कोई आपराधिक मकसद नहीं था।
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