खोरीबाड़ी ग्रामीण अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सरकारी पोर्टल से फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाने का खुलासा हुआ है। आरोप है कि कुछ कर्मचारियों ने अवैध भुगतान लेकर सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए ये प्रमाणपत्र तैयार किए।जानकारी के अनुसार, अस्पताल से पिछले तीन महीनों में लगभग 850 से अधिक जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि आधिकारिक रजिस्टर में दर्ज आंकड़े केवल 170 के आसपास हैं। यह अंतर जांच एजेंसियों को शक के दायरे में ले आया और जांच के बाद फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ।सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल का एक डाटा एंट्री ऑपरेटर, एक चिकित्सक और कुछ बिचौलियों की मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था। ये लोग प्रत्येक प्रमाणपत्र के बदले नकद राशि लेकर पोर्टल पर सीधे प्रविष्टि कर दस्तावेज जारी करते थे। इतना ही नहीं, इन नकली प्रमाणपत्रों पर QR कोड भी सक्रिय था, जिससे वे पूरी तरह असली लगते थे।जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तुलसी प्रमाणिक ने बताया कि मामले की पूरी रिपोर्ट स्वास्थ्य भवन को भेज दी गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अस्पताल के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. प्रफुल्ल मिन्ज ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ प्रमाणपत्रों की समीक्षा की थी, लेकिन डिजिटल सिग्नेचर ऑपरेटर के पास ही रहता था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं नागरिक रजिस्ट्री और सरकारी दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठाती हैं। इससे फर्जी पहचान पत्र, मतदाता सूची और नागरिकता से जुड़े दुरुपयोग की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं।वर्तमान में जिला प्रशासन ने इस प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दोष सिद्ध होने पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।यह मामला इस बात का संकेत है कि डिजिटल सिस्टम में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा न हों।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
खोरीबाड़ी ग्रामीण अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सरकारी पोर्टल से फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाने का खुलासा हुआ है। आरोप है कि कुछ कर्मचारियों ने अवैध भुगतान लेकर सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए ये प्रमाणपत्र तैयार किए।जानकारी के अनुसार, अस्पताल से पिछले तीन महीनों में लगभग 850 से अधिक जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि आधिकारिक रजिस्टर में दर्ज आंकड़े केवल 170 के आसपास हैं। यह अंतर जांच एजेंसियों को शक के दायरे में ले आया और जांच के बाद फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ।सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल का एक डाटा एंट्री ऑपरेटर, एक चिकित्सक और कुछ बिचौलियों की मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था। ये लोग प्रत्येक प्रमाणपत्र के बदले नकद राशि लेकर पोर्टल पर सीधे प्रविष्टि कर दस्तावेज जारी करते थे। इतना ही नहीं, इन नकली प्रमाणपत्रों पर QR कोड भी सक्रिय था, जिससे वे पूरी तरह असली लगते थे।जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तुलसी प्रमाणिक ने बताया कि मामले की पूरी रिपोर्ट स्वास्थ्य भवन को भेज दी गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अस्पताल के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. प्रफुल्ल मिन्ज ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ प्रमाणपत्रों की समीक्षा की थी, लेकिन डिजिटल सिग्नेचर ऑपरेटर के पास ही रहता था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं नागरिक रजिस्ट्री और सरकारी दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठाती हैं। इससे फर्जी पहचान पत्र, मतदाता सूची और नागरिकता से जुड़े दुरुपयोग की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं।वर्तमान में जिला प्रशासन ने इस प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दोष सिद्ध होने पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।यह मामला इस बात का संकेत है कि डिजिटल सिस्टम में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा न हों।
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