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आंचल में दूध व आंखों में पानी! यह है जलपाईगुड़ी जिले के एक युवती की कहानी।


चंदन मंडल, सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।

  • शादी के बिना ही जबरन बन गई दो बच्चों की मां।
  • 8 सालों तक पागलों की तरह इधर -उधर रही भटकती।

बलात्कार की घटनाएं पीड़ितों के जीवन पर कहर बनकर टूटती हैं और बलात्कार की शिकार युवती को हमारे समाज के लोग ताना मार -मार कर उसे चैन से जिंदगी जीने को नहीं देती। एक ऐसा ही दिल दहला देने वाली घटना जलपाईगुड़ी जिले के एक 25 वर्षीय युवती की है।

13 साल पहले की बात है जब वह युवती 12 वर्ष की किशोरी थी। उसी वक्त हवस के दरिंदों ने उसे अपनी हवस का शिकार बना लिया। जिस कारण वह गर्भवती हो गई। इसके बाद भी किशोरी के घर वालों ने उसे पूरी संवेदना के साथ पूरा सहारा दिया। यहां तक कि उस पीड़ित किशोरी की मां ने बिन शादी के बच्चे को भी स्वीकार कर पाला-पोसा। लेकिन तथाकथित समाज को यह बात ‘फूटी आंख नहीं सुहाई’। रोज – रोज के समाज के ताने से तंग आकर वह युवती अपने तीन साल के मासूम पुत्र को घर पर ही छोड़ कहीं चली गई। वह जहां गई वहां 8 सालों से पागलों की तरह इधर – उधर भटकती रही। उस बीच भी वह दरिंदगी से बच नहीं पाई। उस अवस्था में भी कुछ दरिंदों ने फिर उसे अपनी हवस का शिकार बना डाला। उससे भी फिर वह गर्भवती हो गई। सड़कों पर लावारिस फिरती उस गभवर्ती की अवस्था देख कुछ लोगों ने मानवता का परिचय देते हुए उसे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती करवा दिया। जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। वह दो साल तक मेडिकल में ही रही। इधर बीते दिसंबर में यह पूरा मामला मेडिकल वालों के माध्यम से दार्जिलिंग जिला लीगल एड फोरम के अध्यक्ष अमित सरकार को पता चला तो उन्होंने आगे आ कर उस युवती को उसके परिवार तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया और उसे पूरा भी किया। राजगंज स्थित एक होम में उसे शरण दिलवाई। इधर खोज – खबर लगा कर जलपाईगुड़ी सदर थाना अंतर्गत स्थित उसके घर व परिवार का पता लगाया। उसे पुत्री संग रविवार 15 जनवरी को उसके घर – परिवार के पास पहुंचा दिया। पर, वहां पता चला कि अब उस युवती के माता – पिता इस दुनिया में नहीं हैं। एकमात्र बड़ी बहन है जो शादीशुदा है और अपने घर – संसार में व्यस्त है। फिलहाल उसी बहन के हवाले उसे उसके पिता के घर में रखा गया है। परंतु सवाल अब भी वही है कि क्या उसे अब समाज का ताना नहीं मिलेगा? उसे घर तो मिल गया है पर क्या समाज उसे स्वीकार करेगा? क्या यह दर्द भरी कहानी अब सुखद मोड़ ले पाएगी? क्या समाज फिर उसे सुकून से जीने देगा? फिलहाल, उस अबला नारी की कहानी आंचल में दूध, आंखों में पानी है।

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