बंगाल-बिहार सीमांत व दार्जिलिंग जिले के अंतिम छोड़ पर बसा हुआ अमरसिंह जोत किनारे स्थित नदी के समीप रविवार को एक श्मशान घाट का उद्घाटन किया गया। इस संबंध में चक्करमारी निवासी व समाजसेवी मुकेश भारती ने बताया कि आपस में सभी समाज मिलकर व चंदा इकठ्ठा करके श्मशान घाट बनाया गया। जिसका आज समाजसेवी दिलीप सिंह ने उद्घाटन किया। जिससे चक्करमारी, भजनपुर, अमरसिंह जोत, विवेकानंद पल्ली, बाजार बस्ती समेत आसपास इलाके के लोगों को दाह संस्कार के लिए दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन लोगों को अब काफी सहूलियत होगी।
उन्होंने कहा श्मशान घाट निर्माण में मुख्य रूप से रघुनाथ भारती अहम भूमिका निभाई है। इस दिन श्मशान घाट उद्धघाटन में समाजसेवी, मुकेश भारती, दिलीप सिंह, रघुनाथ भारती, श्याम बहादुर राय, महेंद्र सहनी, शशि मोहन बर्मन, नीरेन चंद बर्मन, संतोष सिंह समेत अन्य मौजूद थे। बताया गया कि चक्करमारी के लोगों को दाह संस्कार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लोगों ने लंबे समय से अमरसिंह जोत के किनारे एक श्मशान घाट बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से मांग कर रहे थे लेकिन नेताओं ने इनकी मांगे पूरी नहीं की। जिसके कारण लोगों ने आपस मिलकर सार्वजनिक रूप से चंदा उठाकर एक श्मशान घाट का निर्माण किया।
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
बंगाल-बिहार सीमांत व दार्जिलिंग जिले के अंतिम छोड़ पर बसा हुआ अमरसिंह जोत किनारे स्थित नदी के समीप रविवार को एक श्मशान घाट का उद्घाटन किया गया। इस संबंध में चक्करमारी निवासी व समाजसेवी मुकेश भारती ने बताया कि आपस में सभी समाज मिलकर व चंदा इकठ्ठा करके श्मशान घाट बनाया गया। जिसका आज समाजसेवी दिलीप सिंह ने उद्घाटन किया। जिससे चक्करमारी, भजनपुर, अमरसिंह जोत, विवेकानंद पल्ली, बाजार बस्ती समेत आसपास इलाके के लोगों को दाह संस्कार के लिए दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन लोगों को अब काफी सहूलियत होगी।
उन्होंने कहा श्मशान घाट निर्माण में मुख्य रूप से रघुनाथ भारती अहम भूमिका निभाई है। इस दिन श्मशान घाट उद्धघाटन में समाजसेवी, मुकेश भारती, दिलीप सिंह, रघुनाथ भारती, श्याम बहादुर राय, महेंद्र सहनी, शशि मोहन बर्मन, नीरेन चंद बर्मन, संतोष सिंह समेत अन्य मौजूद थे। बताया गया कि चक्करमारी के लोगों को दाह संस्कार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लोगों ने लंबे समय से अमरसिंह जोत के किनारे एक श्मशान घाट बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से मांग कर रहे थे लेकिन नेताओं ने इनकी मांगे पूरी नहीं की। जिसके कारण लोगों ने आपस मिलकर सार्वजनिक रूप से चंदा उठाकर एक श्मशान घाट का निर्माण किया।
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