पूर्णिमा के मौके पर शनिवार को खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा में लोगों ने भक्तिभाव से लक्खी पूजा अर्चना की। इसके लिए खोरीबाड़ी के भालूगाड़ा स्थित मां लक्खी मंदिर परिसर में मां की पूजा की गई। बंगाली समुदाय की महिला-पुरुषों ने मां लक्खी की पूजा-अर्चना कर सुख-संपति की मंगल कामना की। पूजा में माता लक्ष्मी को नए अन्न का भोग लगाकर श्रद्धालुओं ने धन-धान्य एवं संपन्नता की कामना की गई।
इस अवसर पर मां लक्ष्मी की आराधनामयी गीतों, भजनों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होता रहा। समृद्धि और धन्य-धान की देवी मां लक्खी की पूजा मंदिर के पुरोहित ने विधि-विधान से कराया। पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया था, जहां श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी सभी के घरों में घूमती है और धन दौलत का वरदान देती हैं। इस दौरान मां लक्ष्मी के साथ-साथ प्रकृति को भी पूजा जाता है। महिलाओं द्वारा बनाई गई अल्पना और उनके श्रृंगार में विशेष तौर पर मां लक्ष्मी के चरण चिह्न बनाए जाते हैं और कामना की जाती है कि मां लक्ष्मी घर में आकर वापस न जाए। दुर्गा पूजा के बाद लक्खी पूजा समारोह में न केवल बंगाली समुदाय बल्कि हिंदू धर्मावलंबियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
पूर्णिमा के मौके पर शनिवार को खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा में लोगों ने भक्तिभाव से लक्खी पूजा अर्चना की। इसके लिए खोरीबाड़ी के भालूगाड़ा स्थित मां लक्खी मंदिर परिसर में मां की पूजा की गई। बंगाली समुदाय की महिला-पुरुषों ने मां लक्खी की पूजा-अर्चना कर सुख-संपति की मंगल कामना की। पूजा में माता लक्ष्मी को नए अन्न का भोग लगाकर श्रद्धालुओं ने धन-धान्य एवं संपन्नता की कामना की गई।
इस अवसर पर मां लक्ष्मी की आराधनामयी गीतों, भजनों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होता रहा। समृद्धि और धन्य-धान की देवी मां लक्खी की पूजा मंदिर के पुरोहित ने विधि-विधान से कराया। पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया था, जहां श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी सभी के घरों में घूमती है और धन दौलत का वरदान देती हैं। इस दौरान मां लक्ष्मी के साथ-साथ प्रकृति को भी पूजा जाता है। महिलाओं द्वारा बनाई गई अल्पना और उनके श्रृंगार में विशेष तौर पर मां लक्ष्मी के चरण चिह्न बनाए जाते हैं और कामना की जाती है कि मां लक्ष्मी घर में आकर वापस न जाए। दुर्गा पूजा के बाद लक्खी पूजा समारोह में न केवल बंगाली समुदाय बल्कि हिंदू धर्मावलंबियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
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