रमजान के पवित्र माह का रविवार को चांद दिखाई देने के बाद मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फितर सोमवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी प्रखंड क्षेत्र में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष नमाज अदा कर मुस्लिम भाइयों ने अमन की दुआ मांगी। वहीं नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की बधाई दी।
ईद को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा। सुबह से ही नए वस्त्र पहनकर मस्जिद और ईदगाह में मुस्लिम भाइयों के पहुँचने का सिलसिला जारी रहा। निर्धारित समय पर विशेष नमाज अदा की गई। ईदगाहों और मस्जिदों में मेले जैसा दृश्य था। बच्चे खिलौने और खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए आतुर दिखे। सभी धर्म समुदाय के लोग एक-दूसरे से गले मिलकर बधाई देते रहे।
30 दिन के रोज़ों के बाद ईद का त्योहार आता है। इस अवसर पर हर मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। ईद के व्यंजन न केवल खाने में बेहद लज़ीज़ होते हैं, बल्कि पचने में भी आसान होते हैं। रमजान के 30 दिनों की इबादत के बाद लजीज व्यंजनों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस मौके पर शीरखुरमा और सेवइयां तो बनती ही हैं, साथ ही नमकीन चीजों के बिना भी यह त्योहार अधूरा माना जाता है।शीरखुरमा और सेवइयां खाने के लिए लोग जरूर जाते हैं और गले मिलकर “ईद मुबारक” की बधाइयाँ देते हैं। दूसरी ओर, ईद पर्व को लेकर किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन मस्जिदों, चौराहों और अन्य धार्मिक स्थानों पर मुस्तैद था।
रमजान का पाक और मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को देता है बढ़ावान:
क्सलबाड़ी जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद दाराजुद्दीन ने बताया कि रमजान का पाक और मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को बढ़ावा देता है। ऐसे में मुस्लिम संप्रदाय के लोगों को रमजान में निश्चित तौर पर रोजा रखना चाहिए। रोजा में अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर जो भी सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करता है, उसे बरकत जरूर नसीब होती है।
अल्लाह ने अपने बंदों को यह बतला दिया है कि तुम नमाज पढ़ोगे तो मैं उसका सवाब दूंगा। हज करोगे तो उसका अज्र दूंगा, जकात दोगे तो उसका नेकी दूंगा, लेकिन जब तुम रोजे के इम्तिहान में कामयाब हो जाओगे तो मैं खुद ही तुम्हारा हो जाऊंगा।
आखिरी जुमे पर अल्लाह से मिल्लत के लिए मांगी गई दुआ, जमकर हुई खरीदारीमाह-ए-रमजान के आखिरी जुमे पर 28 मार्च शुक्रवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी में अलविदा की नमाज अदा की गई थी। नमाज अदा करने वालों में जवान और बुजुर्ग ही नहीं, छोटे बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान सड़कों पर काफी चहल-पहल थी।
अलविदा की नमाज के बाद बच्चों में ईद पर्व पर कपड़े, जूते-चप्पल आदि खरीदने की खुशी थी। नमाज के बाद देर शाम तक सामानों, सेवइयों और रेडिमेड कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी करने के लिए भीड़ देखी गई। रविवार की रात चांद देखने के बाद सोमवार को ईद मनाई गई।
अलविदा की नमाज के दौरान मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ उमड़ी। नमाज के दौरान लोगों ने अल्लाह से मुल्क, कौम और मिल्लत के लिए दुआ मांगी। लोगों के हाथ इबादत के लिए उठे तो उनके मुंह से सिर्फ शांति की बात निकली। अलविदा नमाज के दौरान रोजेदारों में इस बात का भी मलाल था कि पवित्र माह अब समाप्त हो रहा है। लोगों के चेहरे पर पाक महीने की समाप्ति का गम था
सारस न्यूज, नक्सलबाड़ी।
रमजान के पवित्र माह का रविवार को चांद दिखाई देने के बाद मुस्लिम भाईचारे का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फितर सोमवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी प्रखंड क्षेत्र में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष नमाज अदा कर मुस्लिम भाइयों ने अमन की दुआ मांगी। वहीं नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की बधाई दी।
ईद को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा। सुबह से ही नए वस्त्र पहनकर मस्जिद और ईदगाह में मुस्लिम भाइयों के पहुँचने का सिलसिला जारी रहा। निर्धारित समय पर विशेष नमाज अदा की गई। ईदगाहों और मस्जिदों में मेले जैसा दृश्य था। बच्चे खिलौने और खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए आतुर दिखे। सभी धर्म समुदाय के लोग एक-दूसरे से गले मिलकर बधाई देते रहे।
30 दिन के रोज़ों के बाद ईद का त्योहार आता है। इस अवसर पर हर मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। ईद के व्यंजन न केवल खाने में बेहद लज़ीज़ होते हैं, बल्कि पचने में भी आसान होते हैं। रमजान के 30 दिनों की इबादत के बाद लजीज व्यंजनों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस मौके पर शीरखुरमा और सेवइयां तो बनती ही हैं, साथ ही नमकीन चीजों के बिना भी यह त्योहार अधूरा माना जाता है।शीरखुरमा और सेवइयां खाने के लिए लोग जरूर जाते हैं और गले मिलकर “ईद मुबारक” की बधाइयाँ देते हैं। दूसरी ओर, ईद पर्व को लेकर किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन मस्जिदों, चौराहों और अन्य धार्मिक स्थानों पर मुस्तैद था।
रमजान का पाक और मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को देता है बढ़ावान:
क्सलबाड़ी जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद दाराजुद्दीन ने बताया कि रमजान का पाक और मुकद्दस महीना आपसी सौहार्द को बढ़ावा देता है। ऐसे में मुस्लिम संप्रदाय के लोगों को रमजान में निश्चित तौर पर रोजा रखना चाहिए। रोजा में अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर जो भी सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करता है, उसे बरकत जरूर नसीब होती है।
अल्लाह ने अपने बंदों को यह बतला दिया है कि तुम नमाज पढ़ोगे तो मैं उसका सवाब दूंगा। हज करोगे तो उसका अज्र दूंगा, जकात दोगे तो उसका नेकी दूंगा, लेकिन जब तुम रोजे के इम्तिहान में कामयाब हो जाओगे तो मैं खुद ही तुम्हारा हो जाऊंगा।
आखिरी जुमे पर अल्लाह से मिल्लत के लिए मांगी गई दुआ, जमकर हुई खरीदारीमाह-ए-रमजान के आखिरी जुमे पर 28 मार्च शुक्रवार को सिलीगुड़ी शहर समेत खोरीबाड़ी और नक्सलबाड़ी में अलविदा की नमाज अदा की गई थी। नमाज अदा करने वालों में जवान और बुजुर्ग ही नहीं, छोटे बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान सड़कों पर काफी चहल-पहल थी।
अलविदा की नमाज के बाद बच्चों में ईद पर्व पर कपड़े, जूते-चप्पल आदि खरीदने की खुशी थी। नमाज के बाद देर शाम तक सामानों, सेवइयों और रेडिमेड कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी करने के लिए भीड़ देखी गई। रविवार की रात चांद देखने के बाद सोमवार को ईद मनाई गई।
अलविदा की नमाज के दौरान मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ उमड़ी। नमाज के दौरान लोगों ने अल्लाह से मुल्क, कौम और मिल्लत के लिए दुआ मांगी। लोगों के हाथ इबादत के लिए उठे तो उनके मुंह से सिर्फ शांति की बात निकली। अलविदा नमाज के दौरान रोजेदारों में इस बात का भी मलाल था कि पवित्र माह अब समाप्त हो रहा है। लोगों के चेहरे पर पाक महीने की समाप्ति का गम था
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