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उत्तर बंगाल दुर्गोत्सव : लोगों का आकर्षण का केंद्र बनेगा खोरीबाड़ी का पंडाल।

  • देश दुनिया के चर्चित मंदिरों की तर्ज पर बनाए जा रहे पूजा पंडाल

चंदन मंडल, सिलीगुड़ी।

दुर्गा माता की पूजा आराधना और नौ दिवसीय का उपासना शारदीय नवरात्रि पर्व तीन अक्टूबर (गुरुवार) से शुरू होने जा रहा है। इसे लेकर खोरीबाड़ी सहित नक्सलबाड़ी, फांसीदेवा व खोरीबाड़ी से सटे आसपास इलाके में तैयारियां जोरों पर है। पूजा पंडाल विशाल बनाये जा रहे हैं। पंडालों को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्हें देश दुनिया – के चर्चित मंदिरों व ऐतिहासिक स्मारकों की तरह भव्य बनाए जा रहे हैं। पूरे राज्य भर में ‘थीम’ को आधार बनाकर पूजा पंडाल बनाये जा रहे हैं। ताकि लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़े। वहीं खोरीबाड़ी में भी विभिन्न थीमों को आधार बनाकर बेहद आकर्षक दुर्गा पूजा के पंडाल बनाये जा रहे हैं।

दिल्ली अक्षरधाम मंदिर के तर्ज बन रहा पंडाल

बतासी स्थित बलाईझोड़ा सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी इस साल 40 वें वर्ष में दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के तर्ज पर पंडाल बना रहा है। यह पंडाल 10 लाख रुपए की बजट
से करीब 70 फीट ऊंचा और 80 चौड़ा होगा। इस संबध में बलाईझोड़ा सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी के सचिव अमल मंडल ने बताया कि बंगाल का सबसे बड़ा दुर्गा पूजा पर्व है। बंगाल का दुर्गा पूजा देखने देखने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल से मां दुर्गा के दर्शन करने आते हैं। साथ ही मेले का आनंद लेते हैं और दुर्गा मां से अपने परिवार की सुख शांति के लिए कामना करते हैं। जिससे नवरात्र के दस दिनों तक बंगाल में लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती हैं। उन्होंने कहा सप्तमी से प्रति दिन बलाईझोड़ा सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल में लाखों की श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।

बंगाल में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित

बलाईझोड़ा सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी अध्यक्ष विश्वनाथ मजूमदार ने कहा राज्य में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित है ।इसलिए यहां शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का काफी असर है। दूसरी ओर वहां वैष्णव संत भी हुए हैं, जो राम और कृष्ण की आराधना में यकीन रखते हैं।राज्य में दशहरा पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्र में शुरू होने वाला यह बंगालियों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों विराजमान करते हैं। देश भर के नामी कलाकार दुर्गा की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके साथ अन्य देवी द्वेवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं।

बंगाल में माना जाता है मां दुर्गा का मायका

मजूमदार ने कहा बंगाल में प्राचीन समय से ही मां दुर्गा का मायका माना जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के मायके के आने के साथ ही नवरात्र व्रत शुरु हो जाते हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग का हो जाता है। राज्य में बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। वे देश-विदेश जहां कहीं भी रहें, इस पर्व को खास बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।


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