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अब फिर सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक चिटफंड घोटाला पीड़ित लगाएंगे न्‍याय की गुहार।

सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।

चिटफंड सफरर्स एंड एजेंट्स यूनिटी फोरम (नार्थ बंगाल) की ओर से कहा गया है कि शारदा, रोज वैली व अन्य दर्जनों चिटफंड के पीड़ित अपने निवेश की राशि वापस पाने हेतु अब फिर से सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक का सहारा लेंगे। एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा तो वहीं दूसरी ओर सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया जाएगा। इसके अलावा अब और कोई दूसरा चारा नजर नहीं आ रहा है। इस दिशा में पश्चिम बंगाल राज्य सरकार से कोई उम्मीद नहीं रह गई है। क्योंकि चिटफंड घोटालों में राज्य के सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के ही कई बड़े नेता व मंत्री का नाम शामिल है।

सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट्स क्लब में बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में फोरम के संयोजक पार्थ मोएत्रा ने कहा कि हम लोग गत 10 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं, मगर अब तक कोई सकारात्मक चीज नजर नहीं आ रही है। वर्ष 2012 में हुए चिटफंड घोटाले का आज तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। उसी समय हम लोगों ने आंदोलन किया था। अदालत के दर पर गए थे। वर्ष 2013 में हुए मुकदमे के बाद वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इन तमाम चिटफंड घोटालों की सीबीआई द्वारा जांच कराई जाए। सीबीआई जांच भी शुरू हुए अब आठ वर्ष हो गए, मगर अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। इस दौरान न जाने कितने चिटफंड निवेशक आम लोग, व एजेंट अपनी निवेश की राशि वापस पाने की उम्‍मीद लिए हुए ही इस दुनिया से चल बसे।

उन्होंने यह भी कहा कि, किसी भी चीज को बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है। यहां चिटफंड घोटालों के न्याय के मामले में अब बर्दाश्त की सीमा पार हो चुकी है। अब हम लोग और ज्यादा चुप बैठे रह कर इंतजार नहीं करने वाले। हम लोग फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बताएंगे कि उसके आदेश के आलोक में सीबीआई जांच शुरू होने के आठ साल गुजर जाने के बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। सीबीआई बस अभियुक्तों को बुलाए जा रही है और पूछताछ ही किए जा रही है। अनेक अभियुक्त को जमानत पर रिहा भी हो चुके हैं। जबकि, आम निवेशक अभी भी खून के आंसू रो रहे हैं। आखिर, यह मसला कब हल होगा? वहीं चिटफंड सफरर्स एंड एजेंट्स यूनिटी फोरम (नार्थ बंगाल) के इस आंदोलन में अमानतकारी एंड एजेंट्स सुरक्षा मंच (वेस्ट बंगाल) और चिटफंड पीड़ित जनता (दार्जिलिंग) भी शामिल हैं।

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