उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एनबीएमसीएच) प्रशासन की उदासीनता के कारण अस्पताल में आवारा पशुओं का डेरा बन चुका है। इन आवारा पशुओं द्वारा यत्र-तत्र किए गए मल से उठती दुर्गध से इलाज कराने आए मरीज परेशान होते रहते हैं। अस्पताल परिसर में गाय, कुत्ता जैसे कई आवारा पशु ऐसे विचरण करते रहते हैं, मानो यह इंसानों के अस्पताल के साथ-साथ मवेशियों का भी अस्पताल हो। स्थिति यह रहती है कि अस्पताल के बरामदे पर कुत्ते आराम फरमाते हैं तो गाय बरामदे पर ही इधर से उधर घूमती रहती हैं। कुत्ते भी इन जानवरों से पीछे नहीं रहते और मौका मिलते ही वार्ड में भी प्रवेश कर जाते है। इन आवारा पशुओं से मरीजों के परिजन परेशान रहते हैं। इसके साथ ही उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मरीजों की वार्डों में साफ -सफाई भी ठीक से नहीं होती है। सफाई कर्मियों के काम नहीं करने से वार्डों में गंदगी फैली रही। वहीं जगह-जगह पान के पीक से दीवारें रंगी हुई है। विभिन्न वार्डों में गंदगी का अंबार लगा रहता है। इस कारण अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि चिकित्सक मरीजों को साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने की सलाह देते हैं। लेकिन, अस्पताल परिसर में ही चहुंओर गंदगी फैली हुई है। यहां मरीज ठीक क्या होंगे, स्वस्थ्य लोग भी गंदगी के कारण बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, महिला वार्ड, प्रसव वार्ड, पुरूष वार्ड आदि वार्डों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जिसके कारण मरीजों के परिजन को गंदगी व दुर्गंध के कारण दो पल रुकना भी मुश्किल हो रहा है। इस मामले को लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज व अस्पताल ( एनबीएमसीएच ) के अधीक्षक डाॅ संजय मल्लिक को फोन करने पर उन्होने कहा कि हम अभी मिटिंग में है बाद में फोन कीजिए इसके बाद उन्हें दोबारा दो बार फोन करने पर उन्होने फोन रिसिव नहीं किया। जिस कारण विभागीय पक्ष नहीं लिया जा सका।
चंदन मंडल, सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एनबीएमसीएच) प्रशासन की उदासीनता के कारण अस्पताल में आवारा पशुओं का डेरा बन चुका है। इन आवारा पशुओं द्वारा यत्र-तत्र किए गए मल से उठती दुर्गध से इलाज कराने आए मरीज परेशान होते रहते हैं। अस्पताल परिसर में गाय, कुत्ता जैसे कई आवारा पशु ऐसे विचरण करते रहते हैं, मानो यह इंसानों के अस्पताल के साथ-साथ मवेशियों का भी अस्पताल हो। स्थिति यह रहती है कि अस्पताल के बरामदे पर कुत्ते आराम फरमाते हैं तो गाय बरामदे पर ही इधर से उधर घूमती रहती हैं। कुत्ते भी इन जानवरों से पीछे नहीं रहते और मौका मिलते ही वार्ड में भी प्रवेश कर जाते है। इन आवारा पशुओं से मरीजों के परिजन परेशान रहते हैं। इसके साथ ही उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मरीजों की वार्डों में साफ -सफाई भी ठीक से नहीं होती है। सफाई कर्मियों के काम नहीं करने से वार्डों में गंदगी फैली रही। वहीं जगह-जगह पान के पीक से दीवारें रंगी हुई है। विभिन्न वार्डों में गंदगी का अंबार लगा रहता है। इस कारण अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि चिकित्सक मरीजों को साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने की सलाह देते हैं। लेकिन, अस्पताल परिसर में ही चहुंओर गंदगी फैली हुई है। यहां मरीज ठीक क्या होंगे, स्वस्थ्य लोग भी गंदगी के कारण बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, महिला वार्ड, प्रसव वार्ड, पुरूष वार्ड आदि वार्डों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जिसके कारण मरीजों के परिजन को गंदगी व दुर्गंध के कारण दो पल रुकना भी मुश्किल हो रहा है। इस मामले को लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज व अस्पताल ( एनबीएमसीएच ) के अधीक्षक डाॅ संजय मल्लिक को फोन करने पर उन्होने कहा कि हम अभी मिटिंग में है बाद में फोन कीजिए इसके बाद उन्हें दोबारा दो बार फोन करने पर उन्होने फोन रिसिव नहीं किया। जिस कारण विभागीय पक्ष नहीं लिया जा सका।
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