दुर्गा माता की पूजा आराधना और नौ दिवसीय का उपासना शारदीय नवरात्रि पर्व रविवार को खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा सहित सीमावर्ती क्षेत्र डांगुजोत, देवीगंज व भातगांव में कलश स्थापना के साथ ही विभिन्न दुर्गा मंदिरों में मां दुर्गा सहित अन्य देवी – देवताओं की पूजा-अर्चना विधिवत शुरु हो गई। वहीं सीमावर्ती इलाके के डांगुजोत सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में हर वर्ष के तरह इस वर्ष भी विधि विधान से कलश स्थापित की गई। सबसे पहले भारत-नेपाल सीमा के बीच बहने वाली मेची नदी में पूजा- अर्चना के बाद कुंवारी कन्याओं द्वारा कलश में जल भरकर लाया गया और कलश को मंदिर में स्थापित किया गया। पहले दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना व पूजा-अर्चना की और आराधना में जुट गए। मां अंबे की पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह नजर आ रहा है। अलग-अलग स्थानों में इस बार कलश स्थापना करते हुए पूजा-अर्चना प्रारंभ की गई और पुरोहितों द्वारा नवरात्र पाठ भी किया जा रहा है। नवरात्र पाठ से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। जगह-जगह पर नवरात्र पाठ सुनाई दे रहे हैं। लोगों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने घरों में भी पूजा-अर्चना और कलश स्थापना की है। माता रानी की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की जा रही है। पूजा-अर्चना को लेकर कई दिनों से तैयारियां की जा रही थी। जगह-जगह पर माता की भक्ति के गीत बज रहे हैं। नौ दिनों तक माता की स्तुति की जाएगी। भक्तों ने माता की पूजा-अर्चना को लेकर अपनी ओर से कोई भी कमी नहीं रखी है। एक अलग ही वातावरण नजर आ रहा है। लोगों में उत्साह का संचार हो चुका है। भक्तिमय वातावरण के बीच पूजा-अर्चना चल रही है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में एक समान माहौल नजर आ रहा है। लोग काफी उत्त्साहित नजर आ रहे हैं।
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
दुर्गा माता की पूजा आराधना और नौ दिवसीय का उपासना शारदीय नवरात्रि पर्व रविवार को खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा सहित सीमावर्ती क्षेत्र डांगुजोत, देवीगंज व भातगांव में कलश स्थापना के साथ ही विभिन्न दुर्गा मंदिरों में मां दुर्गा सहित अन्य देवी – देवताओं की पूजा-अर्चना विधिवत शुरु हो गई। वहीं सीमावर्ती इलाके के डांगुजोत सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में हर वर्ष के तरह इस वर्ष भी विधि विधान से कलश स्थापित की गई। सबसे पहले भारत-नेपाल सीमा के बीच बहने वाली मेची नदी में पूजा- अर्चना के बाद कुंवारी कन्याओं द्वारा कलश में जल भरकर लाया गया और कलश को मंदिर में स्थापित किया गया। पहले दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना व पूजा-अर्चना की और आराधना में जुट गए। मां अंबे की पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह नजर आ रहा है। अलग-अलग स्थानों में इस बार कलश स्थापना करते हुए पूजा-अर्चना प्रारंभ की गई और पुरोहितों द्वारा नवरात्र पाठ भी किया जा रहा है। नवरात्र पाठ से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। जगह-जगह पर नवरात्र पाठ सुनाई दे रहे हैं। लोगों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने घरों में भी पूजा-अर्चना और कलश स्थापना की है। माता रानी की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की जा रही है। पूजा-अर्चना को लेकर कई दिनों से तैयारियां की जा रही थी। जगह-जगह पर माता की भक्ति के गीत बज रहे हैं। नौ दिनों तक माता की स्तुति की जाएगी। भक्तों ने माता की पूजा-अर्चना को लेकर अपनी ओर से कोई भी कमी नहीं रखी है। एक अलग ही वातावरण नजर आ रहा है। लोगों में उत्साह का संचार हो चुका है। भक्तिमय वातावरण के बीच पूजा-अर्चना चल रही है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में एक समान माहौल नजर आ रहा है। लोग काफी उत्त्साहित नजर आ रहे हैं।
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