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चैती छठ की धूम: भक्ति गीतों से गूंज उठा माहौल, व्रतियों में उत्साह।

सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…

नक्सलबाड़ी: “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…”, “केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके…”, “मारबो रे सुगवा धनुष से, सुगा गिरे मुरझाय…” आदि लोकगीतों की मधुर ध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल समेत विभिन्न स्थानों पर मनाया जाने वाला लोक आस्था का पवित्र पर्व चैती छठ मंगलवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया।

भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती क्षेत्रों और भद्रपुर में इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। लोग छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं और बाज़ारों में पूजा सामग्री की ख़रीदारी कर रहे हैं। मंगलवार को व्रतियों ने पवित्र स्नान के बाद लौकी की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल, आलू व बैंगन के पकौड़े बनाकर भगवान को भोग अर्पित किया, इसके पश्चात सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया।

बुधवार को खरना व्रत रखा जाएगा, जिसमें व्रती महिलाएं गुड़ से बनी खीर और रोटी का सेवन करेंगी और इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ करेंगी। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।

इस महापर्व के मद्देनज़र सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने मेची नदी की साफ-सफाई शुरू कर दी है। यहां के पूर्वी तट पर भारतीय श्रद्धालु और पश्चिमी तट पर नेपाल के श्रद्धालु छठ पूजा करते हैं। घरों में भी तैयारियां जोरों पर हैं और महिलाएं पूजा-अर्चना की तैयारियों में जुटी हुई हैं।

मान्यता:
ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख, शांति, उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार में खुशहाल जीवन की प्राप्ति होती है। छठ माता और सूर्य देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है

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