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खोरीबाड़ी में डीवाईएफआई दार्जिलिंग जिला समिति का 20वां सम्मेलन, भाजपा और तृणमूल सरकार पर जमकर साधा निशाना।

सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।


डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) की दार्जिलिंग जिला समिति द्वारा रविवार को खोरीबाड़ी में संगठन का 20वां वार्षिक सम्मेलन भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत एक जुलूस के साथ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में DYFI और माकपा के कार्यकर्ता शामिल हुए।

सम्मेलन में प्रमुख तौर पर DYFI के पश्चिम बंगाल राज्य अध्यक्ष ध्रुव ज्योति साह, राज्य सचिव मीनाक्षी मुखर्जी, माकपा नेता समन पाठक, दिलीप सिंह, सीटू अध्यक्ष गौतम घोष, विट्टू जायसवाल और अब्बू मनान समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान नेताओं ने भाजपा और राज्य की तृणमूल सरकार पर तीखा हमला बोला।

भाजपा जाति और धर्म के नाम पर कर रही राजनीति – DYFI

DYFI नेताओं ने भाजपा पर देश को जाति और धर्म के नाम पर बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि DYFI ऐसी विभाजनकारी राजनीति के विरुद्ध लगातार संघर्षरत रही है और आगे भी जनता के हित में आवाज उठाती रहेगी। वहीं, पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार को ‘भ्रष्टाचार की प्रतीक’ बताते हुए नेताओं ने कहा कि इसके कई नेता घोटालों में पकड़े जा चुके हैं, जिससे राज्य की छवि धूमिल हो रही है।

“महंगाई की आग में पेट्रोल डाल रही मोदी सरकार” – ध्रुव ज्योति साह

DYFI के राज्य अध्यक्ष ध्रुव ज्योति साह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में महंगाई, बेरोजगारी और भुखमरी चरम पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने देश की प्रगति को रोक दिया है और आम जनता महंगे गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल और जीवन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों से त्रस्त है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा – “यह सरकार महंगाई की सरकार बन चुकी है। एयरपोर्ट, रेलवे, पोस्ट ऑफिस और पेट्रोलियम जैसे राष्ट्रीय संसाधनों को बेचकर सरकार देश की आत्मनिर्भरता को कमजोर कर रही है।”
साथ ही उन्होंने भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बताते हुए कहा, “बड़े और छोटे फूल मिलकर जनता को अप्रैल फूल बना रहे हैं।”

“माकपा जनता की पार्टी है, 35 साल राज नहीं, जनसेवा की मिसाल” – मीनाक्षी मुखर्जी

राज्य सचिव मीनाक्षी मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा, “राज्य में 35 साल माकपा का नहीं, जनता का शासन था। लेकिन आज तृणमूल ने जनता की जगह भ्रष्टाचार को शासन सौंप दिया है।”
उन्होंने बताया कि शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी मांगने पर लाठियां मिल रही हैं और निराश युवाओं में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने चिंता जताई कि चाय बागान श्रमिक जो दशकों से दार्जिलिंग जिले में रह रहे हैं, उन्हें अब तक भूमि का अधिकार (पट्टा) नहीं दिया गया है, जबकि भू-माफियाओं को ज़मीनें बांटी जा रही हैं।

अंत में उन्होंने राज्य सरकार से सीधा सवाल पूछा – “क्या आप चाय बागान के श्रमिकों को जमीन का पट्टा देने को तैयार हैं?”



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