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चांद का हुआ दीदार, अर्घ्य देकर महिलाओं ने खोला निर्जला व्रत।

सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी : अखंड सुहाग के लिए रखे जाने वाले करवाचौथ का त्योहार रविवार को देर रात तक पूरे देश के साथ साथ खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी प्रखंड में धूमधाम से मनाया गया। सुहागिनों ने धूमधाम व श्रद्धा से करवा चौथ मनाया। दिनभर निर्जल व्रत रखकर शाम का चंद्रमा को अ‌र्ध्य देकर व्रत खोला। शादीशुदा महिलाओं ने चंद्रमा को अघ्र्य देकर पति की लंबी उम्र की कामना की। इसके बाद पति के हाथों से अपना उपवास तोड़ा। इधर, पति पूरे दिन का अपना कामकाज निपटाकर देर शाम व रात को अपने-अपने घर पहुंच गए। नई-नवेली दुल्हन की तरह तैयार पत्नियों ने चंद्रमा की पूजा कर इसको विधानपूर्वक सम्पन्न किया। पति पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ता प्रदान करने एवं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागिनों ने करवाचौथ का व्रत किया। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी को यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा-दर्शन के साथ पूरा होता है।

आस्था, प्यार, सम्मान व समर्पण को प्रदर्शित करता है करवाचौथ व्रत

बताते चलें कि सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत उनके पति के प्रति आस्था, प्यार, सम्मान व समर्पण को प्रदर्शित करता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करते हुए इस पर्व में अन्न जल ग्रहण किए बिना दिन भर उपवास रहती है। इसके बाद बिभिन्न प्रकार के फल, फूल, मिठाई, पान-सुपाड़ी बांस के टोकरी में एकत्रित होकर चलनी में चांद को देखने के बाद भक्तिभाव से पूजा करती है। इसके बाद जल से अ‌र्घ्य देकर पूजन संपन्न होती है। पूजा-अर्चना के बाद पत्नी पति के हाथों से पानी का घूंट पीकर अपना उपवास तोड़ती है। मान्यता है कि चलनी से देखे गये चांद की महिमा से दांपत्य जीवन में हमेशा शीतल छाया बनी रहती है। इस संबंध दर्जनों महिलाओं ने बताया कि इस पर्व को करने से पति की लंबी उम्र बढ़ने के साथ-साथ दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।

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