सिलीगुड़ी: राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की घोषणा के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों में दहशत का माहौल है।सीमावर्ती इलाकों से काफी संख्या में घुसपैठिए अपने देश बांग्लादेश भाग रहे हैं। दूसरी ओर भारत में बसे नेपाली लोगों ने एसआइआर को स्वागत किया है। भारत -नेपाल व दार्जिलिंग जिले के अंतिम छोर पर बसे लगभग 600 आबादी वाले सोनापिंडी के खोदोबाड़ी के नेपाली लोगों ने शनिवार को जागरण से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि एसआइआर से घुसपैठियों को डरने की जरूरत है, हमें नहीं।
विजय विश्वकर्मा( 36) बताते हैं कि केंद्र सरकार की एसआइआर लागू की अच्छी पहल है। हमलोगों में किसी प्रकार कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा इसके पर दादा नेपाल से यहां भारत में आए हुए थे, तभी से हमलोग रह रहे हैं हैं। हमलोगों में किसी प्रकार की डर नहीं है।एसआइआर एक सरकार की अच्छी पहल है।
राजन विश्वकर्मा( 38) ने बताया कि एसआइआर से हमको कोई दिक्कत नहीं है। हम यही पले भरे और बड़े हुए हैं। हमलोगों के पास भारत के सभी दस्तावेज हैं।एसआइआर को हमलोगों में कोई डर माहौल नहीं है। सरकार के इस फैसले को हमलोग दिल से स्वागत करते हैं।
परमिला विश्वकर्मा (43) ने कहा कि हमलोग एसआइआर से क्यों डरें, इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। हमलोग एसआइआर का स्वागत करते हैं। सरकार का यह फैसला अच्छा है ,एसआइआर से कोई डर नहीं,हमलोग इसका स्वागत करते हैं।
राजू विश्वकर्मा (46) ने कहा कि एसआइआर से भारतीय नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है, यह केवल विदेशी घुसपैठियों को मतदाता सूची से हटाने के लिए है। उन्होंने कहा एसआइआर से भारतीय नागरिकों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।भारतीय मुसलमानों को भी इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
सरिता विश्वकर्मा (42) ने कहा कि इस प्रक्रिया में फर्जी मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे। ये जानकारी हमलोगों को है। हमलोग नेपाली जरूर हैं लेकिन हमलोग भारत के निवासी हैं। हमलोग के पास सभी दस्तावेज भारत के हैं। हमलोग को केंद्र सरकार के एसआइआर के फैसले को लेकर किसी प्रकार की मन में डर नहीं है।
नंदा कुमारी विश्वकर्मा (57) ने कहा कि हमलोग नेपाली नहीं हूं, इंडियन हूं। इंडिया में हमलोग दशकों से रहते हैं। सारा दस्तावेज भारत का ही बना हुआ है।एसआइआर का मै दिल से स्वागत करती हूं, उन्होंने कहा एसआइआर हमको क्या किसी भी भारतीय लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है। केवल घुसपैठिए को डरना है, क्योंकि एसआइआर से घुसपैठिए की नागरिकता जाएगी।
सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।
सिलीगुड़ी: राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की घोषणा के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों में दहशत का माहौल है।सीमावर्ती इलाकों से काफी संख्या में घुसपैठिए अपने देश बांग्लादेश भाग रहे हैं। दूसरी ओर भारत में बसे नेपाली लोगों ने एसआइआर को स्वागत किया है। भारत -नेपाल व दार्जिलिंग जिले के अंतिम छोर पर बसे लगभग 600 आबादी वाले सोनापिंडी के खोदोबाड़ी के नेपाली लोगों ने शनिवार को जागरण से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि एसआइआर से घुसपैठियों को डरने की जरूरत है, हमें नहीं।
विजय विश्वकर्मा( 36) बताते हैं कि केंद्र सरकार की एसआइआर लागू की अच्छी पहल है। हमलोगों में किसी प्रकार कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा इसके पर दादा नेपाल से यहां भारत में आए हुए थे, तभी से हमलोग रह रहे हैं हैं। हमलोगों में किसी प्रकार की डर नहीं है।एसआइआर एक सरकार की अच्छी पहल है।
राजन विश्वकर्मा( 38) ने बताया कि एसआइआर से हमको कोई दिक्कत नहीं है। हम यही पले भरे और बड़े हुए हैं। हमलोगों के पास भारत के सभी दस्तावेज हैं।एसआइआर को हमलोगों में कोई डर माहौल नहीं है। सरकार के इस फैसले को हमलोग दिल से स्वागत करते हैं।
परमिला विश्वकर्मा (43) ने कहा कि हमलोग एसआइआर से क्यों डरें, इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। हमलोग एसआइआर का स्वागत करते हैं। सरकार का यह फैसला अच्छा है ,एसआइआर से कोई डर नहीं,हमलोग इसका स्वागत करते हैं।
राजू विश्वकर्मा (46) ने कहा कि एसआइआर से भारतीय नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है, यह केवल विदेशी घुसपैठियों को मतदाता सूची से हटाने के लिए है। उन्होंने कहा एसआइआर से भारतीय नागरिकों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।भारतीय मुसलमानों को भी इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
सरिता विश्वकर्मा (42) ने कहा कि इस प्रक्रिया में फर्जी मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे। ये जानकारी हमलोगों को है। हमलोग नेपाली जरूर हैं लेकिन हमलोग भारत के निवासी हैं। हमलोग के पास सभी दस्तावेज भारत के हैं। हमलोग को केंद्र सरकार के एसआइआर के फैसले को लेकर किसी प्रकार की मन में डर नहीं है।
नंदा कुमारी विश्वकर्मा (57) ने कहा कि हमलोग नेपाली नहीं हूं, इंडियन हूं। इंडिया में हमलोग दशकों से रहते हैं। सारा दस्तावेज भारत का ही बना हुआ है।एसआइआर का मै दिल से स्वागत करती हूं, उन्होंने कहा एसआइआर हमको क्या किसी भी भारतीय लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है। केवल घुसपैठिए को डरना है, क्योंकि एसआइआर से घुसपैठिए की नागरिकता जाएगी।
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