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केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार में 21 निर्जन द्वीपों के नाम, देश के सबसे बड़े युद्धकालीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए।

सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज।

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सांसद कुलदीप राय शर्मा ने इस कदम का स्वागत किया। केंद्र सरकार ने रक्षा और स्थानीय अधिकारियों की सहायता से इन 21 द्वीप के नाम अलंकृत सैनिकों के नाम पर रखे हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि केंद्र ने हमारे बहादुर सैनिकों को सम्मानित करने के लिए अंडमान के 21 द्वीपों को चुना है।

मैं प्रशासन से स्कूली बच्चों के लिए एक छोटी पुस्तिका प्रकाशित करने का भी अनुरोध करना चाहता हूं ताकि वे हमारी मातृभूमि के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान के बारे में अधिक जान सकें। कुलदीप राय शर्मा ने कहा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के कारण एक तीर्थ स्थान रहा है और अब परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों का इस तरह सम्मान किया जाना हमारे लिए गर्व की बात है। उत्तर और मध्य अंडमान में निर्जन द्वीप संख्या ‘आईएनएएन 370′ का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर रखा गया है। अब आईएनएएन 370’ को ‘सोमनाथ द्वीप’ के नाम से जाना जाएगा।

वह परमवीर चक्र से सम्मानित पहले सैनिक थे। शर्मा तीन नवंबर 1947 को श्रीनगर हवाई अड्डे के पास पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के दौरान शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह, मेजर रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा मागर, सूबेदार जोगिंदर सिंह सहनन, मेजर शैतान सिंह भाटी, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कर्नल होशियार सिंह दहिया, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय और सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम पर भी द्वीपों के नाम रखे गए हैं। 21 द्वीपों में से कुछ आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। जबकि कुछ में जल क्रीड़ा, क्रीक पर्यटन और मछली पकड़ने की काफी संभावनाएं हैं। आम तौर पर अंडमान और विशेष रूप से सेलुलर जेल ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

1857 के विद्रोह, वहाबी आंदोलन और बर्मी विद्रोह जैसे विभिन्न ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों में भाग लेने वाले लोगों को अंडमान भेज दिया गया था जहां उन्हें बर्बर परिस्थितियों में रखा जाता था। स्वतंत्रता संग्राम के महान दिग्गजों को सेल्युलर जेल की एकान्त कोठरी में कैद कर दिया गया था।

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