पश्चिम बंगाल स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ (डब्ल्यूबीवीएचए) की ओर से बाल विवाह, घरेलू हिंसा, महिलाओं के अधिकारों की व मानव तस्करी को लेकर गुरुवार को खोरीबाड़ी प्रखंड के बिन्नाबाड़ी ग्राम पंचायत में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मेनोनाइट केंद्रीय समिति के अधिकारी सुशांत नंद, बिन्नाबाड़ी पंचायत के उप प्रधान प्रमोद प्रसाद, पंचायत सचिव निमाई मजूमदार, स्वयं सहायता समूह की प्रमुख शिखा राय उपस्थित थीं। इसके अलावा, एनजीओ के तरुण कुमार मायती व विभिन्न एनजीओ सदस्यों, आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मौजूद थी। सुशांत नंद ने कहा आज की बैठक के माध्यम से लोगों को बेटा-बेटी में किसी तरह का भेदभाव नहीं करने की अपील की गई। उन्होंने कहा बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। दोनों को समान रूप से पालन-पोषण व शिक्षा-दीक्षा देने की व्यवस्था करें। इससे उनका भविष्य सुनहरा हो सकेगा। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया है। बाल विवाह जैसी कुरूतियों को रोकें और अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने को कहा। वहीं बैठक में एनजीओ के तरुण कुमार मायती ने कहा बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इससे हमें अपने समाज को बचाना होगा और लोगों को भी बाल विवाह न करने के बारे में जागरूक करना होगा। क्योंकि 18 वर्ष से पहले लड़की शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती जिस कारण से उसे घर की जिम्मेदारियों में नहीं बांधना चाहिए और उसे शिक्षा का पूरा अधिकार देना चाहिए।
सारस न्यूज, चंदन मंडल, खोरीबाड़ी।
पश्चिम बंगाल स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ (डब्ल्यूबीवीएचए) की ओर से बाल विवाह, घरेलू हिंसा, महिलाओं के अधिकारों की व मानव तस्करी को लेकर गुरुवार को खोरीबाड़ी प्रखंड के बिन्नाबाड़ी ग्राम पंचायत में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मेनोनाइट केंद्रीय समिति के अधिकारी सुशांत नंद, बिन्नाबाड़ी पंचायत के उप प्रधान प्रमोद प्रसाद, पंचायत सचिव निमाई मजूमदार, स्वयं सहायता समूह की प्रमुख शिखा राय उपस्थित थीं। इसके अलावा, एनजीओ के तरुण कुमार मायती व विभिन्न एनजीओ सदस्यों, आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मौजूद थी। सुशांत नंद ने कहा आज की बैठक के माध्यम से लोगों को बेटा-बेटी में किसी तरह का भेदभाव नहीं करने की अपील की गई। उन्होंने कहा बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। दोनों को समान रूप से पालन-पोषण व शिक्षा-दीक्षा देने की व्यवस्था करें। इससे उनका भविष्य सुनहरा हो सकेगा। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया है। बाल विवाह जैसी कुरूतियों को रोकें और अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने को कहा। वहीं बैठक में एनजीओ के तरुण कुमार मायती ने कहा बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इससे हमें अपने समाज को बचाना होगा और लोगों को भी बाल विवाह न करने के बारे में जागरूक करना होगा। क्योंकि 18 वर्ष से पहले लड़की शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती जिस कारण से उसे घर की जिम्मेदारियों में नहीं बांधना चाहिए और उसे शिक्षा का पूरा अधिकार देना चाहिए।
Leave a Reply