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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान पहुंचे। एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) को किया संबोधित।

राजीव कुमार, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।

९ साल बाद भारत के विदेश मंत्री गए हैं पाकिस्तान। इससे पहले सुष्मा स्वराज गयी थी पाकिस्तान।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ को मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “एससीओ का प्रमुख उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है, और वर्तमान परिस्थितियों में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।”

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, “हमें ईमानदार संवाद और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखने की आवश्यकता है। वैश्वीकरण और संतुलन बनाए रखने की अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन एससीओ देशों को इनसे आगे की सोच विकसित करनी होगी।”

उन्होंने यह भी कहा, “देशों के बीच सहयोग आपसी सम्मान, संप्रभुता और समानता पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर।”

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, “एससीओ के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें आपसी हितों का ध्यान रखना होगा और चार्टर के सिद्धांतों का पालन करना होगा। एससीओ उन देशों का प्रतिनिधित्व करता है जो परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, और जिन पर अधिकांश दुनिया का विश्वास टिका हुआ है। हमें इस ज़िम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाना है।”

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुख्य रूप से यह बाते कही –

➡️ सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को पहचानना चाहिए और वास्तविक साझेदारी पर बनाया जाना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर। यदि हम वैश्विक प्रथाओं, विशेष रूप से व्यापार और पारगमन को प्राथमिकता देते हैं, तो एससीओ प्रगति नहीं कर सकता है।

➡️ औद्योगिक सहयोग प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ा सकता है और श्रम बाजारों का विस्तार कर सकता है। एमएसएमई सहयोग, सहयोगी कनेक्टिविटी, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई संभावित रास्ते हैं। चाहे वह स्वास्थ्य हो, भोजन हो या ऊर्जा सुरक्षा हो, साथ मिलकर काम करना स्पष्ट रूप से बेहतर है।

➡️ डीपीआई, महिला नेतृत्व वाले विकास, आईएसए, सीडीआरआई, मिशन लाइफ, जीबीए, योग, मिलेट्स, इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस आदि जैसी भारतीय पहल और प्रयास एससीओ के लिए मजबूत प्रासंगिकता रखते हैं।

➡️ एससीओ को इस बात की वकालत करनी चाहिए कि यूएनएससी को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने के लिए वैश्विक संस्थानों को सुधारित बहुपक्षवाद के माध्यम से तालमेल बिठाने की जरूरत है।

एससीओ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के अपने संकल्प को नवीनीकृत करने के लिए, यह आवश्यक है कि हम हितों की पारस्परिकता को ध्यान में रखें और चार्टर के क्या करें और क्या न करें का पालन करें।

एससीओ परिवर्तन की उन ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है जिन पर दुनिया का बहुत सारा भरोसा है। आइए हम उस जिम्मेदारी पर खरे उतरें।

आइये जानते हैं SCO (शंघाई सहयोग संगठन) है क्या?

SCO का पूरा नाम शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई, चीन में हुई थी। यह संगठन मुख्य रूप से मध्य एशिया में सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया था।

शुरुआत में इसके छह सदस्य देश थे: चीन, रूस, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान. बाद में भारत और पाकिस्तान भी 2017 में इसके सदस्य बने। इसके बाद 2023 में ईरान भी SCO का पूर्ण सदस्य बना। अब इस संगठन के 9 सदस्य देश हैं। SCO का मुख्यालय बीजिंग, चीन में स्थित है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सुरक्षा और सहयोग के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर मध्य एशिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में।

SCO के मुख्य उद्देश्य:

  1. क्षेत्रीय सुरक्षा: आतंकवाद, अलगाववाद, और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई।
  2. आर्थिक सहयोग: व्यापार, निवेश और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना।
  3. राजनीतिक सहयोग: आपसी विश्वास और अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देना।
  4. सांस्कृतिक सहयोग: सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक, और वैज्ञानिक सहयोग को प्रोत्साहित करना।

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