एसिड कीड़े का आतंक अब ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर सिलीगुड़ी के शहरी इलाके में आ गया है। जिससे अब शहरी इलाके के लोग भी प्रभावित होने लगे हैं। इस कीड़े के काटने से शहरी क्षेत्र में भी अब तक कई लोग घायल हो गए हैं। पहले एसिड कीड़ का आतंक उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच देखने को मिला था। इसके काटे जाने से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के कई छात्रों के प्रभावित होने की बात सामने आया था।
विश्वविद्यालय के हास्टल में रहने वाले ज्यादातर विद्यार्थी इसकी चपेट में आए हैं। इस बीच विश्वविद्यालय में 12 जुलाई से स्नातकोत्तर की परीक्षा शुरू होने जा रही है। ऐसे में एसिड कीड़े की कैंपस में मौजूदगी कितना खतरनाक हो सकता है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों कहना कि दो सप्ताह से इस कीड़े का आतंक देखने को मिल रहा है। शाम होने के बाद ही उसके हमले हो रहे हैं। उनका कहना है कि एसिड कीड़े के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराने की जरूरत है क्योंकि उन्हें यह भी नहीं पता है जब एसिड कीड़ा काटे तो क्या करना चाहिए तथा उससे बचने के लिए क्या उपाय होने चाहिए।
सोमवार को सिलीगुड़ी शहर के वार्ड नंबर 42 के नेताजी नगर तथा देवीडांगा इलाके में कुछ लोगों को एसिड कीड़े के काटे जाने की घटना सामने आई है। इसे लेकर लोगों में आतंक है। हालाकि फिलहाल इस पर नगर निगम की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कहा जा रहा है कि एसिड कीड़े के काटे जाने के बाद उस स्थान पर जलन हो रही है तथा दर्द होने के साथ ही सिर दर्द, बुखार तथा उल्टी की शिकायतें हो रही है। इसलिए इससे सावधान रहने की जरूरत है। सावधानी के तौर पर जंगल झाड़ में न जाएं तथा रात में मच्छरदानी का अवश्य प्रयोग करें।
वहीं इस संबंध में चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. प्रतीक शिवहरे ने बताया कि बरसात शुरू होने के बाद से जहरीले कीड़ों की संख्या काफी बढ़ जाती हैं है। घरों और बाहर ये कीड़े उड़ते रहते हैं। त्वचा पर बैठते ही ये कीड़े एसिड छोड़ते हैं। इससे लाल दाने और फिर चकत्ते उभर आते हैं। यदि डायबिटीज मरीजों को ये कीड़े काट लें तो वे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि तत्काल इलाज नहीं करवाया तो ये चकत्ते घाव में तब्दील हो सकते हैं। तब घाव भरने में काफी वक्त लगेगा और मरीज दर्द से बेहाल हो सकता है। जिन्हें डायबिटीज नहीं है वे भी सतर्क रहें। उन्होंने बताया कि इन दिनों जहरीले कीड़े काटने से घाव हो जाने की शिकायत लेकर तमाम मरीज आ रहे हैं। ये कीड़े त्वचा पर बैठते ही एसिड छोड़ते हैं। इससे शुरूआत में चकत्ते और फिर घाव हो जाता है। शुरूआत में ही इलाज करा लेने पर बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है। उन्होंने इसकी बचाव पर सलाह देते हुए कहा कि पूरी आस्तीन के शर्ट पहनें और गले तक बटन बंद करें। बिस्तर पर जाने से पहले उसे अच्छी तरह झाड़ लें। बेहतर हो कि मच्छरदानी लगाकर सोएं। कीड़ा काटे तो त्वचा को तत्काल साफ पानी से धो दें। विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं।
सारस न्यूज टीम, सिलीगुड़ी।
एसिड कीड़े का आतंक अब ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर सिलीगुड़ी के शहरी इलाके में आ गया है। जिससे अब शहरी इलाके के लोग भी प्रभावित होने लगे हैं। इस कीड़े के काटने से शहरी क्षेत्र में भी अब तक कई लोग घायल हो गए हैं। पहले एसिड कीड़ का आतंक उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच देखने को मिला था। इसके काटे जाने से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के कई छात्रों के प्रभावित होने की बात सामने आया था।
विश्वविद्यालय के हास्टल में रहने वाले ज्यादातर विद्यार्थी इसकी चपेट में आए हैं। इस बीच विश्वविद्यालय में 12 जुलाई से स्नातकोत्तर की परीक्षा शुरू होने जा रही है। ऐसे में एसिड कीड़े की कैंपस में मौजूदगी कितना खतरनाक हो सकता है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों कहना कि दो सप्ताह से इस कीड़े का आतंक देखने को मिल रहा है। शाम होने के बाद ही उसके हमले हो रहे हैं। उनका कहना है कि एसिड कीड़े के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराने की जरूरत है क्योंकि उन्हें यह भी नहीं पता है जब एसिड कीड़ा काटे तो क्या करना चाहिए तथा उससे बचने के लिए क्या उपाय होने चाहिए।
सोमवार को सिलीगुड़ी शहर के वार्ड नंबर 42 के नेताजी नगर तथा देवीडांगा इलाके में कुछ लोगों को एसिड कीड़े के काटे जाने की घटना सामने आई है। इसे लेकर लोगों में आतंक है। हालाकि फिलहाल इस पर नगर निगम की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कहा जा रहा है कि एसिड कीड़े के काटे जाने के बाद उस स्थान पर जलन हो रही है तथा दर्द होने के साथ ही सिर दर्द, बुखार तथा उल्टी की शिकायतें हो रही है। इसलिए इससे सावधान रहने की जरूरत है। सावधानी के तौर पर जंगल झाड़ में न जाएं तथा रात में मच्छरदानी का अवश्य प्रयोग करें।
वहीं इस संबंध में चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. प्रतीक शिवहरे ने बताया कि बरसात शुरू होने के बाद से जहरीले कीड़ों की संख्या काफी बढ़ जाती हैं है। घरों और बाहर ये कीड़े उड़ते रहते हैं। त्वचा पर बैठते ही ये कीड़े एसिड छोड़ते हैं। इससे लाल दाने और फिर चकत्ते उभर आते हैं। यदि डायबिटीज मरीजों को ये कीड़े काट लें तो वे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि तत्काल इलाज नहीं करवाया तो ये चकत्ते घाव में तब्दील हो सकते हैं। तब घाव भरने में काफी वक्त लगेगा और मरीज दर्द से बेहाल हो सकता है। जिन्हें डायबिटीज नहीं है वे भी सतर्क रहें। उन्होंने बताया कि इन दिनों जहरीले कीड़े काटने से घाव हो जाने की शिकायत लेकर तमाम मरीज आ रहे हैं। ये कीड़े त्वचा पर बैठते ही एसिड छोड़ते हैं। इससे शुरूआत में चकत्ते और फिर घाव हो जाता है। शुरूआत में ही इलाज करा लेने पर बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है। उन्होंने इसकी बचाव पर सलाह देते हुए कहा कि पूरी आस्तीन के शर्ट पहनें और गले तक बटन बंद करें। बिस्तर पर जाने से पहले उसे अच्छी तरह झाड़ लें। बेहतर हो कि मच्छरदानी लगाकर सोएं। कीड़ा काटे तो त्वचा को तत्काल साफ पानी से धो दें। विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं।
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