नक्सलबाड़ी के सुब्रती संघ की ओर से इस साल 70वें वार्षिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा उत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसे लेकर बुधवार को गुरु पूर्णिमा के दिन क्लब परिसर में खूंटी पूजा की गयी। इसके साथ ही अब दुर्गा पूजा पंडाल निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इस वर्ष का आकर्षण कलश के आकार का मंडप सज्जा और नारियल की रस्सी से बनी कुमारटूली की मूर्ति है। पूजा कमेटी के अध्यक्ष विराज सरकार ने कहा कि इस बार सुब्रती संघ की पूजा केवल नक्सलबाड़ी ही नहीं बल्कि खोरीबाड़ी, बागडोगरा व अन्य जगहों से भी श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगी।
उन्होंने कहा बंगाल में नवरात्र को लेकर तैयारियां जोरों पर रहती है। पूजा पंडाल विशाल बनाये जाते हैं, पंडालों को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्हें देश दुनिया के चर्चित मंदिरों व ऐतिहासिक स्मारकों की तरह भव्य बनाया जाता है और हर वर्ष गांव से लेकर शहर तक धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है, लेकिन बीते दो वर्षों तक कोरोना की नजर अन्य त्योहारों की तरह दुर्गा पूजा के आयोजन पर भी लगी रही। साथ ही कोरोना वायरस के कारण 2 वर्षों से मेले का आयोजन भी सही ढंग से नहीं किया गया था। इस वर्ष थीम को आधार बनाकर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। जिससे हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ेगी।
देश के विभिन्न राज्यों से बंगाल की दुर्गा पूजा देखने आते हैं लोग
विराज सरकार ने कहा कि बंगाल का सबसे बड़ा दुर्गा पूजा पर्व है। बंगाल का दुर्गा पूजा देखने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल से मां दुर्गा के दर्शन करने आते हैं। साथ ही मेले का आनंद लेते हैं और मां दुर्गा से अपने परिवार की सुख शांति के लिए कामना करते हैं। जिससे नवरात्र के दस दिनों तक बंगाल में करोड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती हैं।
बंगाल में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित
बताते चलें कि राज्य में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित है। इसलिए यहां शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का काफी असर है। दूसरी ओर वहां वैष्णव संत भी हुए हैं, जो राम और कृष्ण की आराधना में यकीन रखते हैं। राज्य में दशहरा पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्र में शुरू होने वाला यह बंगालियों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में विराजमान करते हैं। देश भर के नामी कलाकार दुर्गा की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके साथ अन्य देवी द्वेवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं।
बंगाल में माना जाता है मां दुर्गा का मायका
जानकार बताते हैं कि बंगाल में प्राचीन समय से ही मां दुर्गा का मायका माना जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के मायके के आने के साथ ही नवरात्र व्रत शुरु हो जाते हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग का हो जाता है। राज्य में बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। वे देश-विदेश जहां कहीं भी रहें, इस पर्व को खास बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
चंदन मंडल, सारस न्यूज़, नक्सलबाड़ी।
नक्सलबाड़ी के सुब्रती संघ की ओर से इस साल 70वें वार्षिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा उत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसे लेकर बुधवार को गुरु पूर्णिमा के दिन क्लब परिसर में खूंटी पूजा की गयी। इसके साथ ही अब दुर्गा पूजा पंडाल निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इस वर्ष का आकर्षण कलश के आकार का मंडप सज्जा और नारियल की रस्सी से बनी कुमारटूली की मूर्ति है। पूजा कमेटी के अध्यक्ष विराज सरकार ने कहा कि इस बार सुब्रती संघ की पूजा केवल नक्सलबाड़ी ही नहीं बल्कि खोरीबाड़ी, बागडोगरा व अन्य जगहों से भी श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगी।
उन्होंने कहा बंगाल में नवरात्र को लेकर तैयारियां जोरों पर रहती है। पूजा पंडाल विशाल बनाये जाते हैं, पंडालों को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्हें देश दुनिया के चर्चित मंदिरों व ऐतिहासिक स्मारकों की तरह भव्य बनाया जाता है और हर वर्ष गांव से लेकर शहर तक धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है, लेकिन बीते दो वर्षों तक कोरोना की नजर अन्य त्योहारों की तरह दुर्गा पूजा के आयोजन पर भी लगी रही। साथ ही कोरोना वायरस के कारण 2 वर्षों से मेले का आयोजन भी सही ढंग से नहीं किया गया था। इस वर्ष थीम को आधार बनाकर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। जिससे हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ेगी।
देश के विभिन्न राज्यों से बंगाल की दुर्गा पूजा देखने आते हैं लोग
विराज सरकार ने कहा कि बंगाल का सबसे बड़ा दुर्गा पूजा पर्व है। बंगाल का दुर्गा पूजा देखने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल से मां दुर्गा के दर्शन करने आते हैं। साथ ही मेले का आनंद लेते हैं और मां दुर्गा से अपने परिवार की सुख शांति के लिए कामना करते हैं। जिससे नवरात्र के दस दिनों तक बंगाल में करोड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती हैं।
बंगाल में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित
बताते चलें कि राज्य में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित है। इसलिए यहां शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का काफी असर है। दूसरी ओर वहां वैष्णव संत भी हुए हैं, जो राम और कृष्ण की आराधना में यकीन रखते हैं। राज्य में दशहरा पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्र में शुरू होने वाला यह बंगालियों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में विराजमान करते हैं। देश भर के नामी कलाकार दुर्गा की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके साथ अन्य देवी द्वेवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं।
बंगाल में माना जाता है मां दुर्गा का मायका
जानकार बताते हैं कि बंगाल में प्राचीन समय से ही मां दुर्गा का मायका माना जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के मायके के आने के साथ ही नवरात्र व्रत शुरु हो जाते हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग का हो जाता है। राज्य में बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। वे देश-विदेश जहां कहीं भी रहें, इस पर्व को खास बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
Leave a Reply