चुनौतियां हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। चुनौती के बिना मानव जीवन निरस और उबाऊ हो जाता है। चुनौती से इंसान के अंदर कुछ कर दिखाने की, कुछ कर गुजरने की क्षमता का विकास होता है।
जीवन प्रतिक्षण संघर्ष का दूसरा नाम है। चुनौतियां हमारे सामने कभी भी किसी भी रूप में आ सकती हैं। एक चुनौती वह है जो वक्त के साथ हमारी जिंदगी में आ जाती है। और दूसरी जो हमारे विरोधी या हमारे प्रतिस्पर्धी लोगों के द्वारा हमारे लिए निर्मित की जाती है।
चुनौतियां हमारे जीवन में बेवजह नहीं आती इनका आना हमारे जीवन के वर्तमान शैली में बदलाव का इशारा होता है। हम चुनौतियों से लड़कर चुनौतियों को सकारात्मक रूप में ले करआगे बढ़े या हम चुनौतियों से हार मानकर उसे नकारात्मक रूप में ले यह हम पर निर्भर करता है।
चुनौतियां प्राकृतिक और मानव निर्मित भी होती है: बाढ़ पाला, भूकंप, सुखा, आंधी, तूफान, दावानल इत्यादि सब प्राकृतिक चुनौतियां हैं। जब बच्चा जन्म लेता है और धीरे-धीरे वह चलना सिखता है। इस क्रम में वह न जाने कितनी बार गिरता है, उसे चोटें लगती है। वह फिर खड़ा होता है, फिर गिरता है और फिर वह चलना सिखता है। अपने पैरों पर खड़ा होना उसके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है।
दीपक को जलने के लिए हवा का सामना करना पड़ता है। हवा बार-बार दीपक को बुझाना चाहती हैं दीपक हवा से लड़कर जलता रहता है, इस तरह जब एक बीज को अंकुरित होने के लिए धरती पर डाला जाता है तो अंकुरित होने के लिए उसे अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करता है और अंकुरित होता है। और फिर पुष्पित और पल्लवित होता है। फिर जब उसमें फल लगते हैं तो चुनौतियों के रूप में हर ढेला उसकी ओर उछलता है। इसलिए बिना चुनौती के नहीं दीपक जल सकता है ना बी सृजन कर सकता है और मैं मनुष्य प्रगति कर सकता है इसलिए चुनौती को चुनौती के रूप में स्वीकार कर आगे बढ़ाने की कोशिश करें।
जितने भी महापुरुष धरती पर हुए हैं सभी ने न जाने कितनी ही चुनौतियों का सामना किया है चुनौतियां सफलता का सोपान है।शेर के सामने शिकार खुद चलकर नहीं आता, शेर को भी अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार खोजना पड़ता है ।देश के सामने अंग्रेज भी चुनौती बनकर ही आए थे। सामाजिक वाद विवाद,जातिवाद, आतंकवाद, परीक्षा में अव्वल आने की चुनौती भी कुछ कम नहीं।
अगर सांस लेने के क्रम में हमारी नाक में दुर्गंध प्रवेश करती है तो हम सांस लेना बंद नहीं करते। जीवन छन छन प्रतिक्षण संघर्ष है,या यूं कहें संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है। हमें अपनी लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ती है। चुनौतियों को लोहा नहीं,पारस के रूप में देखें तो जीवन कुंदन सा चमकने लगेगा।और जो अपनी हर चुनौतियों से उबर कर खुद की पहचान कायम रखना है वही असल में सशक्त इंसान है। बिन्दु अग्रवाल
चुनौतियां इंसान को सशक्त बनाती है
चुनौतियां हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। चुनौती के बिना मानव जीवन निरस और उबाऊ हो जाता है। चुनौती से इंसान के अंदर कुछ कर दिखाने की, कुछ कर गुजरने की क्षमता का विकास होता है।
जीवन प्रतिक्षण संघर्ष का दूसरा नाम है। चुनौतियां हमारे सामने कभी भी किसी भी रूप में आ सकती हैं। एक चुनौती वह है जो वक्त के साथ हमारी जिंदगी में आ जाती है। और दूसरी जो हमारे विरोधी या हमारे प्रतिस्पर्धी लोगों के द्वारा हमारे लिए निर्मित की जाती है।
चुनौतियां हमारे जीवन में बेवजह नहीं आती इनका आना हमारे जीवन के वर्तमान शैली में बदलाव का इशारा होता है। हम चुनौतियों से लड़कर चुनौतियों को सकारात्मक रूप में ले करआगे बढ़े या हम चुनौतियों से हार मानकर उसे नकारात्मक रूप में ले यह हम पर निर्भर करता है।
चुनौतियां प्राकृतिक और मानव निर्मित भी होती है: बाढ़ पाला, भूकंप, सुखा, आंधी, तूफान, दावानल इत्यादि सब प्राकृतिक चुनौतियां हैं। जब बच्चा जन्म लेता है और धीरे-धीरे वह चलना सिखता है। इस क्रम में वह न जाने कितनी बार गिरता है, उसे चोटें लगती है। वह फिर खड़ा होता है, फिर गिरता है और फिर वह चलना सिखता है। अपने पैरों पर खड़ा होना उसके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है।
दीपक को जलने के लिए हवा का सामना करना पड़ता है। हवा बार-बार दीपक को बुझाना चाहती हैं दीपक हवा से लड़कर जलता रहता है, इस तरह जब एक बीज को अंकुरित होने के लिए धरती पर डाला जाता है तो अंकुरित होने के लिए उसे अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करता है और अंकुरित होता है। और फिर पुष्पित और पल्लवित होता है। फिर जब उसमें फल लगते हैं तो चुनौतियों के रूप में हर ढेला उसकी ओर उछलता है। इसलिए बिना चुनौती के नहीं दीपक जल सकता है ना बी सृजन कर सकता है और मैं मनुष्य प्रगति कर सकता है इसलिए चुनौती को चुनौती के रूप में स्वीकार कर आगे बढ़ाने की कोशिश करें।
जितने भी महापुरुष धरती पर हुए हैं सभी ने न जाने कितनी ही चुनौतियों का सामना किया है चुनौतियां सफलता का सोपान है।शेर के सामने शिकार खुद चलकर नहीं आता, शेर को भी अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार खोजना पड़ता है ।देश के सामने अंग्रेज भी चुनौती बनकर ही आए थे। सामाजिक वाद विवाद,जातिवाद, आतंकवाद, परीक्षा में अव्वल आने की चुनौती भी कुछ कम नहीं।
अगर सांस लेने के क्रम में हमारी नाक में दुर्गंध प्रवेश करती है तो हम सांस लेना बंद नहीं करते। जीवन छन छन प्रतिक्षण संघर्ष है,या यूं कहें संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है। हमें अपनी लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ती है। चुनौतियों को लोहा नहीं,पारस के रूप में देखें तो जीवन कुंदन सा चमकने लगेगा।और जो अपनी हर चुनौतियों से उबर कर खुद की पहचान कायम रखना है वही असल में सशक्त इंसान है। बिन्दु अग्रवाल