पिघलेगा एक दिन पत्थर दिल भी तुम्हारा जरा आंखों से इजाजत लेने तो दीजिए। घुल जाएगी खुशबू सांसों में तुम्हारी जरा धड़कनों से इजाजत तो लेने दीजिए।
छू लूं तुम्हे गर कहो यह हसरत है हमारी अपने दिल को यह इजाजत तो देने दीजिए। नजरों में बसा लूं यह सूरत तुम्हारी, इन नजरों को जरा इजाजत तो लेने दीजिए।
बैठ जाऊं जरा इन जुल्फों की छांव में जुल्फों को लहराने की इजाजत तो दीजिए। तस्वीर बसा लूं अपनी आंखों में तुम्हारी पलकों को उठाने की इजाजत तो दीजिए।
शब्दों में उतार लूं तुम्हें गजल बनाकर, मेरे एहसासों को जरा इजाजत तो दीजिये। गुनगुना लूं तुम्हें गीत बनाकर यह हसरत है हमारी, इन अधरों को जरा इजाजत तो दीजिए।
इजाजत हो तो रख लूं तुम्हें थोड़ा सा,तुम्हीं से चुरा कर मेरे अंधेरे दिल में जलता हुआ एक चिराग बनाकर। बस इतनी सी इजाजत चाहिए,मैं महसूस कर सकूं तुम्हें। जब भी दिल तड़पे मेरा अपना कह सकूं तुम्हें।
बिंदु अग्रवाल (सुमन)
अपना कह सकूं तुम्हें
पिघलेगा एक दिन पत्थर दिल भी तुम्हारा जरा आंखों से इजाजत लेने तो दीजिए। घुल जाएगी खुशबू सांसों में तुम्हारी जरा धड़कनों से इजाजत तो लेने दीजिए।
छू लूं तुम्हे गर कहो यह हसरत है हमारी अपने दिल को यह इजाजत तो देने दीजिए। नजरों में बसा लूं यह सूरत तुम्हारी, इन नजरों को जरा इजाजत तो लेने दीजिए।
बैठ जाऊं जरा इन जुल्फों की छांव में जुल्फों को लहराने की इजाजत तो दीजिए। तस्वीर बसा लूं अपनी आंखों में तुम्हारी पलकों को उठाने की इजाजत तो दीजिए।
शब्दों में उतार लूं तुम्हें गजल बनाकर, मेरे एहसासों को जरा इजाजत तो दीजिये। गुनगुना लूं तुम्हें गीत बनाकर यह हसरत है हमारी, इन अधरों को जरा इजाजत तो दीजिए।
इजाजत हो तो रख लूं तुम्हें थोड़ा सा,तुम्हीं से चुरा कर मेरे अंधेरे दिल में जलता हुआ एक चिराग बनाकर। बस इतनी सी इजाजत चाहिए,मैं महसूस कर सकूं तुम्हें। जब भी दिल तड़पे मेरा अपना कह सकूं तुम्हें।
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