राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
कपड़ा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) के अंतर्गत सुजनी कपड़ा (हाथ की कढ़ाई) में गुरु-शिष्य हस्तशिल्प 50 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का गुरुवार को जन निर्माण केंद्र, किशनगंज के प्रशिक्षण केंद्र में शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में अनुसूचित वर्ग की 30 चयनित महिलाओं ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का उद्घाटन और अतिथियों का संदेश
इस अवसर पर नाबार्ड के डीडीएम, जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष की उपस्थिति रही। सहायक निदेशक श्री रवि शंकर तिवारी ने इस पहल को महिलाओं के अनुकूल बताते हुए कहा कि यह उनकी आजीविका के क्षेत्र में कारगर सिद्ध होगी। नाबार्ड के डीडीएम ने इसे स्वरोजगार के लिए एक रचनात्मक कदम बताया।
संस्थान के सचिव राकेश कुमार सिंह ने सुजनी कढ़ाई की पारंपरिक और समकालीन महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल न केवल महिलाओं की सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करती है, बल्कि बाजार की मांग के अनुरूप भी है।
सुजनी कढ़ाई का सांस्कृतिक और समकालीन महत्व
सुजनी (या सुजनी कशीदाकारी) बिहार की पारंपरिक कला और शिल्प का एक लोकप्रिय रूप है। पहले इसमें बादल, पक्षी, और मछलियों की कढ़ाई होती थी, लेकिन अब इसे समकालीन सामाजिक मुद्दों पर आधारित डिज़ाइनों से समृद्ध किया गया है। यह कला ग्रामीण महिलाओं द्वारा संरक्षित की गई है, जो घरेलू उपयोग के लिए अत्यधिक सौंदर्यपूर्ण वस्त्र तैयार करती हैं।
यह कार्यक्रम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उन्हें उनके सृजनात्मक कौशल का व्यावसायिक उपयोग सिखाने के लिए तैयार किया गया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को स्थानीय और वैश्विक बाजारों की मांग के अनुरूप तैयार किया जाएगा।
इस कार्यक्रम को सभी अतिथियों और उपस्थित महिलाओं ने सराहा। यह पहल न केवल पारंपरिक कला को संरक्षित करेगी, बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगी।