1 अप्रैल 2025 को भारत में कई महत्वपूर्ण घटनाएं और परिवर्तन हुए, जिनका सीधा प्रभाव नागरिकों के जीवन पर पड़ा। इन परिवर्तनों के विवरण निम्नलिखित हैं:
बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में बदलाव:
एटीएम निकासी शुल्क: बैंकों ने एटीएम से मुफ्त निकासी की सीमा को कम कर दिया है। अब ग्राहक दूसरे बैंकों के एटीएम से महीने में केवल तीन बार मुफ्त में पैसे निकाल सकते हैं। इसके बाद प्रत्येक लेनदेन पर 20 से 25 रुपये का शुल्क लगेगा।
न्यूनतम बैलेंस आवश्यकता: बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर अब जुर्माना लगाया जाएगा। विभिन्न बैंकों और खाता प्रकारों के लिए यह सीमा भिन्न हो सकती है, इसलिए ग्राहकों को अपने बैंक से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
पॉजिटिव पे सिस्टम का कार्यान्वयन: धोखाधड़ी रोकने के लिए, 50,000 रुपये से अधिक के चेक जारी करने पर ग्राहकों को अब बैंक को चेक की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रदान करनी होगी, जिसे भुगतान से पहले सत्यापित किया जाएगा।
कराधान और वित्तीय योजनाओं में परिवर्तन:
नया कर प्रणाली: आकलन वर्ष 2025-26 से नया कर ढांचा लागू हो गया है। यदि करदाता पुराने ढांचे के तहत लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी स्पष्ट घोषणा करनी होगी; अन्यथा, वे स्वचालित रूप से नए ढांचे में आ जाएंगे।
पैन-आधार लिंकिंग: जिन करदाताओं ने अपने पैन को आधार से लिंक नहीं किया है, उन्हें अब लाभांश और पूंजीगत लाभ पर टीडीएस में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, और उनके फॉर्म 26AS में क्रेडिट नहीं दिखेगा, जिससे रिफंड में देरी हो सकती है।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में परिवर्तन:
मारुति सुजुकी की कीमतों में वृद्धि: मारुति सुजुकी ने अपनी कारों की कीमतों में 4% तक की बढ़ोतरी की है, जो कच्चे माल और परिचालन लागत में वृद्धि के कारण हुई है।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव:
एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन: एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव किया गया है, जिससे घरेलू बजट पर प्रभाव पड़ सकता है।
क्रेडिट कार्ड रिवार्ड्स में कटौती: विभिन्न बैंकों ने क्रेडिट कार्ड रिवार्ड पॉइंट्स और लाभों में कटौती की है, जिससे ग्राहकों को कम लाभ मिलेगा।
इन परिवर्तनों के अलावा, सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैली थी कि 1 अप्रैल 2025 से यूपीआई सेवाएं बंद हो जाएंगी। हालांकि, यह दावा फर्जी निकला, और यूपीआई सेवाएं पहले की तरह जारी हैं।
इन सभी परिवर्तनों के मद्देनजर, नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने वित्तीय लेन-देन और योजनाओं की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार समायोजन करें।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
1 अप्रैल 2025 को भारत में कई महत्वपूर्ण घटनाएं और परिवर्तन हुए, जिनका सीधा प्रभाव नागरिकों के जीवन पर पड़ा। इन परिवर्तनों के विवरण निम्नलिखित हैं:
बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में बदलाव:
एटीएम निकासी शुल्क: बैंकों ने एटीएम से मुफ्त निकासी की सीमा को कम कर दिया है। अब ग्राहक दूसरे बैंकों के एटीएम से महीने में केवल तीन बार मुफ्त में पैसे निकाल सकते हैं। इसके बाद प्रत्येक लेनदेन पर 20 से 25 रुपये का शुल्क लगेगा।
न्यूनतम बैलेंस आवश्यकता: बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर अब जुर्माना लगाया जाएगा। विभिन्न बैंकों और खाता प्रकारों के लिए यह सीमा भिन्न हो सकती है, इसलिए ग्राहकों को अपने बैंक से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
पॉजिटिव पे सिस्टम का कार्यान्वयन: धोखाधड़ी रोकने के लिए, 50,000 रुपये से अधिक के चेक जारी करने पर ग्राहकों को अब बैंक को चेक की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रदान करनी होगी, जिसे भुगतान से पहले सत्यापित किया जाएगा।
कराधान और वित्तीय योजनाओं में परिवर्तन:
नया कर प्रणाली: आकलन वर्ष 2025-26 से नया कर ढांचा लागू हो गया है। यदि करदाता पुराने ढांचे के तहत लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी स्पष्ट घोषणा करनी होगी; अन्यथा, वे स्वचालित रूप से नए ढांचे में आ जाएंगे।
पैन-आधार लिंकिंग: जिन करदाताओं ने अपने पैन को आधार से लिंक नहीं किया है, उन्हें अब लाभांश और पूंजीगत लाभ पर टीडीएस में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, और उनके फॉर्म 26AS में क्रेडिट नहीं दिखेगा, जिससे रिफंड में देरी हो सकती है।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में परिवर्तन:
मारुति सुजुकी की कीमतों में वृद्धि: मारुति सुजुकी ने अपनी कारों की कीमतों में 4% तक की बढ़ोतरी की है, जो कच्चे माल और परिचालन लागत में वृद्धि के कारण हुई है।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव:
एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन: एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव किया गया है, जिससे घरेलू बजट पर प्रभाव पड़ सकता है।
क्रेडिट कार्ड रिवार्ड्स में कटौती: विभिन्न बैंकों ने क्रेडिट कार्ड रिवार्ड पॉइंट्स और लाभों में कटौती की है, जिससे ग्राहकों को कम लाभ मिलेगा।
इन परिवर्तनों के अलावा, सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैली थी कि 1 अप्रैल 2025 से यूपीआई सेवाएं बंद हो जाएंगी। हालांकि, यह दावा फर्जी निकला, और यूपीआई सेवाएं पहले की तरह जारी हैं।
इन सभी परिवर्तनों के मद्देनजर, नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने वित्तीय लेन-देन और योजनाओं की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार समायोजन करें।
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