“जब तक मैं जिंदा हूँ, योग्य उम्मीदवारों की नौकरी कोई नहीं छीन सकता” – ममता बनर्जी का भरोसा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक विशाल जनसभा में राज्य के शिक्षा भर्ती घोटाले में हटाए गए शिक्षकों और कर्मचारियों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि जिनकी नियुक्ति में कोई सीधा आरोप साबित नहीं हुआ है, उनकी नौकरियां वह बचाकर रखेंगी।
करीब 10,000 से अधिक पीड़ित शिक्षक और अन्य स्कूल कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। ममता ने कहा, “जब तक मेरी सांसें चल रही हैं, तब तक किसी भी योग्य व्यक्ति की नौकरी नहीं जाएगी। यह मेरा वादा है।”
हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह वादा वह किस कानूनी तरीके से पूरा करेंगी। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि न्यायिक रास्ता अपनाने के साथ-साथ उनके पास और भी विकल्प हैं।
उधर, राज्य की माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसमें निवेदन किया गया कि जिन लोगों को ‘स्पष्ट रूप से दोषी’ नहीं ठहराया गया है, उन्हें नई भर्ती तक कार्यरत रहने की अनुमति दी जाए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को एक फैसले में कुल 25,773 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि पूरी भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रसित थी और दोषियों को अलग कर पाना संभव नहीं है।
फिर भी, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिनकी नियुक्ति में स्पष्ट रूप से अनियमितता नहीं मिली है, उन्हें वेतन वापसी नहीं करनी होगी, जबकि दोषी पाए गए उम्मीदवारों को अपनी पूरी तनख्वाह लौटानी होगी।
कार्यक्रम स्थल के बाहर दो महिला उम्मीदवार – सुचेता और सुदीप्ता, हाथ में अपना OMR पेपर लेकर यह पूछती नजर आईं – “जब कोई आरोप सिद्ध ही नहीं हुआ, तो हमें दोषी कैसे ठहरा दिया गया?”
वहीं, कुछ दूसरे शिक्षक जो खुद को निर्दोष मानते हैं, उन्होंने इन दोनों पर नाराज़गी जताई। उनमें से कुछ ने कहा, “आप जैसे दोषी लोगों की वजह से ही हम जैसे निर्दोषों की भी नौकरी चली गई।”
स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले कुछ नियुक्तियां कलकत्ता हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने रद्द की थीं। अब वे बीजेपी सांसद हैं। बाद में एक डिवीजन बेंच ने अप्रैल 2023 में पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया, क्योंकि दोषी और निर्दोष उम्मीदवारों के बीच फर्क कर पाना संभव नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने भी उसी फैसले को बरकरार रखा।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
“जब तक मैं जिंदा हूँ, योग्य उम्मीदवारों की नौकरी कोई नहीं छीन सकता” – ममता बनर्जी का भरोसा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक विशाल जनसभा में राज्य के शिक्षा भर्ती घोटाले में हटाए गए शिक्षकों और कर्मचारियों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि जिनकी नियुक्ति में कोई सीधा आरोप साबित नहीं हुआ है, उनकी नौकरियां वह बचाकर रखेंगी।
करीब 10,000 से अधिक पीड़ित शिक्षक और अन्य स्कूल कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। ममता ने कहा, “जब तक मेरी सांसें चल रही हैं, तब तक किसी भी योग्य व्यक्ति की नौकरी नहीं जाएगी। यह मेरा वादा है।”
हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह वादा वह किस कानूनी तरीके से पूरा करेंगी। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि न्यायिक रास्ता अपनाने के साथ-साथ उनके पास और भी विकल्प हैं।
उधर, राज्य की माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसमें निवेदन किया गया कि जिन लोगों को ‘स्पष्ट रूप से दोषी’ नहीं ठहराया गया है, उन्हें नई भर्ती तक कार्यरत रहने की अनुमति दी जाए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को एक फैसले में कुल 25,773 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि पूरी भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रसित थी और दोषियों को अलग कर पाना संभव नहीं है।
फिर भी, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिनकी नियुक्ति में स्पष्ट रूप से अनियमितता नहीं मिली है, उन्हें वेतन वापसी नहीं करनी होगी, जबकि दोषी पाए गए उम्मीदवारों को अपनी पूरी तनख्वाह लौटानी होगी।
कार्यक्रम स्थल के बाहर दो महिला उम्मीदवार – सुचेता और सुदीप्ता, हाथ में अपना OMR पेपर लेकर यह पूछती नजर आईं – “जब कोई आरोप सिद्ध ही नहीं हुआ, तो हमें दोषी कैसे ठहरा दिया गया?”
वहीं, कुछ दूसरे शिक्षक जो खुद को निर्दोष मानते हैं, उन्होंने इन दोनों पर नाराज़गी जताई। उनमें से कुछ ने कहा, “आप जैसे दोषी लोगों की वजह से ही हम जैसे निर्दोषों की भी नौकरी चली गई।”
स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले कुछ नियुक्तियां कलकत्ता हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने रद्द की थीं। अब वे बीजेपी सांसद हैं। बाद में एक डिवीजन बेंच ने अप्रैल 2023 में पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया, क्योंकि दोषी और निर्दोष उम्मीदवारों के बीच फर्क कर पाना संभव नहीं था।
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