प्रखंड के जवाहर प्लस टू उच्च विद्यालय, भरगामा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) द्वारा बाल विवाह, बाल मजदूरी और मानव तस्करी के प्रति जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर इंस्पेक्टर मुकेश कुमार, भरगामा थानाध्यक्ष राकेश कुमार, अपर थानाध्यक्ष दीपक कुमार, एसआई रूपा कुमारी सहित एएचटीयू टीम के अन्य अधिकारी और विद्यालय के शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और स्थानीय लोगों को सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूक करना था।
कानूनी जानकारी और सुरक्षा के उपाय:
अधिकारियों ने बताया कि—बाल विवाह न केवल बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि यह कानूनी अपराध भी है। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष तय की गई है। कम उम्र में शादी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं और स्वतंत्रता बाधित होती है। बाल मजदूरी भी एक गंभीर अपराध है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना गैरकानूनी है। बच्चों का भविष्य शिक्षा और विकास में है, न कि खतरनाक कार्यों में। अगर किसी बच्चे को मजबूरी में काम करते देखा जाए, तो इसकी सूचना तुरंत बाल संरक्षण हेल्पलाइन 1098 या पुलिस को दी जाए। मानव तस्करी एक संगठित अपराध है, जिसमें बच्चों और महिलाओं को बंधुआ मजदूरी, भीख मंगवाने या अन्य अवैध कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है। कई बार लालच या नौकरी के बहाने लोगों को धोखे से दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है। ऐसे किसी भी संदिग्ध मामले की सूचना एएचटीयू टीम या पुलिस को तुरंत दें।
सामाजिक सहयोग से ही बनेगा सुरक्षित भविष्य:
अधिकारियों ने अपील की कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि बाल विवाह, बाल मजदूरी और मानव तस्करी जैसी घटनाओं की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें और शिक्षा को प्राथमिकता देने में मदद करें। एएचटीयू टीम द्वारा यह जागरूकता अभियान बच्चों के अधिकारों की रक्षा और समाज को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अगर समाज मिलकर इन अपराधों के खिलाफ आवाज उठाए, तो एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।
सारस न्यूज, अररिया।
प्रखंड के जवाहर प्लस टू उच्च विद्यालय, भरगामा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) द्वारा बाल विवाह, बाल मजदूरी और मानव तस्करी के प्रति जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर इंस्पेक्टर मुकेश कुमार, भरगामा थानाध्यक्ष राकेश कुमार, अपर थानाध्यक्ष दीपक कुमार, एसआई रूपा कुमारी सहित एएचटीयू टीम के अन्य अधिकारी और विद्यालय के शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और स्थानीय लोगों को सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूक करना था।
कानूनी जानकारी और सुरक्षा के उपाय:
अधिकारियों ने बताया कि—बाल विवाह न केवल बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि यह कानूनी अपराध भी है। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष तय की गई है। कम उम्र में शादी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं और स्वतंत्रता बाधित होती है। बाल मजदूरी भी एक गंभीर अपराध है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना गैरकानूनी है। बच्चों का भविष्य शिक्षा और विकास में है, न कि खतरनाक कार्यों में। अगर किसी बच्चे को मजबूरी में काम करते देखा जाए, तो इसकी सूचना तुरंत बाल संरक्षण हेल्पलाइन 1098 या पुलिस को दी जाए। मानव तस्करी एक संगठित अपराध है, जिसमें बच्चों और महिलाओं को बंधुआ मजदूरी, भीख मंगवाने या अन्य अवैध कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है। कई बार लालच या नौकरी के बहाने लोगों को धोखे से दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है। ऐसे किसी भी संदिग्ध मामले की सूचना एएचटीयू टीम या पुलिस को तुरंत दें।
सामाजिक सहयोग से ही बनेगा सुरक्षित भविष्य:
अधिकारियों ने अपील की कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि बाल विवाह, बाल मजदूरी और मानव तस्करी जैसी घटनाओं की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें और शिक्षा को प्राथमिकता देने में मदद करें। एएचटीयू टीम द्वारा यह जागरूकता अभियान बच्चों के अधिकारों की रक्षा और समाज को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अगर समाज मिलकर इन अपराधों के खिलाफ आवाज उठाए, तो एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।
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