सारस न्यूज़, अररिया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे और पले-बढ़े रोहन और ऋषभ झा, अक्सर अपने माता-पिता के साथ बिहार के गांवों और विद्यालयों में आते-जाते रहते हैं। इन यात्राओं ने उन्हें एक बेहद अलग सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक माहौल से अवगत कराया। उन्होंने अपनी अररिया जिला में रह रहे छात्राएं, अपने भाई-बहनों और परिवार के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण असमानताएं और अवसरों की कमी देखी। कई परिवारों में, पुरुष आमतौर पर महिलाओं की तुलना में अधिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। लड़कियां अक्सर स्कूल जाने के बजाय घर के कामों में लगी रहती हैं। इससे दोनों भाई बहुत परेशान हुए और उनमें सामाजिक उत्थान में योगदान देने की रुचि जगी। संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने के बावजूद, यह चिंता उनके साथ बनी रही। जिससे उनमें बदलाव लाने की इच्छा प्रेरित हुई। उनके दादा, सेवानिवृत शिक्षक लक्ष्मीकांत झा ने भी उनकी शिक्षा में रुचि को प्रेरित किया। उनका हाल ही में पूरा हुआ शोध पत्र उस दिशा में पहला कदम है।

यूएएस भाई के सर्वे से निकाला गया मुख्य निष्कर्ष
शिक्षा की बारीकियों का पता लगाने के लिए, रोहन और ऋषभ ने अपने चाचा प्रभु सुमन और स्थानीय समुदाय की मदद से 506 प्रतिभागियों के साथ एक सर्वे किया। इस सर्वे से शिक्षा क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी और प्रदर्शन में सकारात्मक रुझान का संकेत देते हैं। जिसका श्रेय बढ़ती सामाजिक जागरूकता, माता-पिता के समर्थन, संसाधन उपलब्धता और लड़कियों की आत्मप्रेरणा को दिया जाता है। हालांकि उनके सर्वे आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बड़ी संख्या में लड़कियां तृतीय श्रेणी अंकों के साथ उत्तीर्ण होती हैं। शैक्षिक परिणामों में लैंगिक असमानता शहरी परिवेश की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट रहती है। उनके सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि वर्तमान सरकारी कार्यक्रम शैक्षणिक उत्कृष्टता पर स्कूल की उपस्थिति को प्राथमिकता देते हैं। जिससे भागीदारी दर तो बढ़ती है। लेकिन जरूरी नहीं कि शैक्षणिक परिणाम बेहतर हों। इसलिए, शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों के लिए प्रोत्साहन बनाना आवश्यक हो जाता है। इस सर्वे का निष्कर्ष प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय आधारित जर्नल, जर्नल ऑफ इमर्जिंग इन्वेस्टिगेटर्स में प्रकाशित होने वाले हैं।

सुधार के लिए प्रस्तावित समाधान
बिहार के शिक्षा में लड़कियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए दोनों भाइयों ने कई प्रमुख रणनीतियां प्रस्तावित की है। जिसमें शिक्षकों की प्रेरणा और कौशल में सुधार हो। शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ाएं और निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करें। साथ ही शिक्षकों को शैक्षिक परिणामों में सुधार करने के लिए प्रेरित करें। संसाधन बढ़ाने के साथ लड़कियों के लिए अलग वॉशरूम, कॉमन रूम उपलब्ध कराकर स्कूल के बुनियादी ढांचे को उन्नत करें। महिला शिक्षकों सहित गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। समृद्ध पाठ्यक्रम में शिक्षा को अधिक प्रासंगिक और सशक्त बनाने के लिए एक प्रेरक पाठ्यक्रम पेश करें। जिसमें व्यक्तिगत और व्यावसायिक वित्त, संचार, सामुदायिक सेवा जैसे व्यावहारिक विषय शामिल हों।
भविष्य की योजनाएं
रोहन और ऋषभ झा अररिया में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ बिहार में शिक्षा के उत्थान के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं। उनका मानना है कि सहयोगात्मक प्रयास महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं। इस महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकारी और निजी स्कूलों सहित समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक हैं। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राप्त अंतर्दृष्टि को साझा करके शिक्षण कौशल और पाठ्यक्रम को बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोग के लिए स्कूलों का चयन करने की प्रक्रिया में हैं। इस उद्देश्य के प्रति उनका समर्पण कई लोगों के लिए आशा की किरण है। जो सामुदायिक भागीदारी के महत्व और शिक्षा सुधार के लिए समग्र दृष्टिकोण पर जोर देता है। जर्नल ऑफ इमर्जिंग इन्वेस्टिगेटर्स में उनके शोध का आसन्न प्रकाशन उनके काम के महत्व व प्रभाव को रेखांकित करता है। रोहन और ऋषभ झा की यूएसए से बिहार तक की यात्रा शिक्षा व लैंगिक समानता के प्रति एक शक्तिशाली प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उनके चल रहे प्रयास और आगामी सहयोग सार्थक बदलाव लाने, बिहार में लड़कियों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ और सशक्त बनाने का वादा करते हैं।
