Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

बिहार में किडनी से पीड़ित मरीजों को मिली बड़ी राहत, किडनी के मरीजों को डायलिसिस करने के लिए अब दूसरे शहर नहीं जाना पड़ेगा।

Mar 25, 2023 #किडनी

सारस न्यूज, बिहार।

किडनी के मरीजों को डायलिसिस करने के लिए अब दूसरे शहर नहीं जाना पड़ेगा। बिहार के लखीसराय जिले में किडनी के कई गंभीर मरीज हैं, जिन्हें हर सप्ताह या फिर महीने में तीन से चार बार डायलिसिस करवाने के लिए पटना या अन्य बड़े शहरों का रुख करना होता था। लेकिन अब सदर अस्पताल लखीसराय में डायलिसिस की सुविधा होने से मरीजों को काफी राहत मिल रही है। महत्वपूर्ण यह है कि राशन कार्ड धारियों को यहां निःशुल्क सुविधा प्रदान की जाती है। वहीं अन्य मरीजों को महज 1771 रुपए में सुविधा प्रदान की जाती है। जिसमें सभी प्रकार की जरूरी सामग्री मुफ्त दिया जाता है।

जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 2500 से 3 हजार रुपए तक या उससे अधिक चुकाने पड़ते हैं। बताते चलें की डायलिसिस करवाने में मरीजों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं, ऐसे में यहां किफायती दर पर और मुफ्त सुविधा मिलने से काफी राहत मिल रही है।

B पॉजिटिव मरीजों के लिए बेहतर व्यवस्था
सदर अस्पताल में डायलिसिस के लिए सभी जरूरी आधुनिक उपकरण मौजूद है। जबकि B पॉजिटिव मरीजों के लिए भी उत्तम प्रबंध किया गया है। जिससे उन्हें बिना किसी परेशानी के सुविधा का लाभ मिल सके। इस वार्ड में कुल 7 मरीजों को एक बार डायलिसिस किया जा सकता है। वहीं B पॉजिटिव एवं सी पॉजिटिव मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं। जिसमें उनका इलाज काफी सावधानी से किया जाता है। जिससे किसी प्रकार के संक्रम का खतरा नहीं हो। यहां किडनी डायलिसिस हाइटेक सुविधाओं से लैस है। सभी मशीनें आधुनिक होने के साथ-साथ नवीनतम टेक्नोलॉजी से लैस है।

जानिये कब होती है किडनी के मरीजों को डायलिसिस
सामान्य तौर पर सीकेडी के मरीजों को डायलिसिस की जरूरत तब पड़ती है, जब किडनी लगभग 85 प्रतिशत तक खराब हो जाता है और ऐसे वक्त में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। अगर आपके रक्त परीक्षण के रिपोर्ट में खून में अधिक मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ का पता लगे या यूरिया, नाइट्रोजन की मात्रा और क्रिएटिनिन की मात्रा में बढ़ोतरी दिखे तो आपको डायलिसिस की जरूरत है।

सामान्यतः लोग केवल मूत्र संबंधित असमनताओं को किडनी विफलता का लक्षण मान लेते है। लेकिन यह धारणा सरासर गलत है। वहीं समस्याओं को नजरंदाज करना भी मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!