सारस न्यूज टीम, पटना।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने आइआइटी के सेवानिवृत्त अध्यापकों को मेंटर ग्रुप बनाकर कोर्स डिजायन, शोध, इनोवेशन, टीचर ट्रेनिंग, ऑनलाइन ई-कंटेंट रीडिंग मैटेरियल तैयार कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (आल इंडिया काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन) जो देश में नई तकनीकी संस्थाएं शुरू करने, नए पाठयक्रम शुरू करने और तकनीकी संस्थाओं में प्रवेश-क्षमता में फेरबदल करने हेतु अनुमोदन देती है, ने भी सहमति दे दी है। शैक्षणिक व शोध में गुणवत्ता के स्तर पर इंजीनियरिंग कालेजों को बेहतर बनाने के लिए आइआइटी एवं एनआइटी समेत अन्य उत्कृष्ट संस्थानों के सेवानिवृत्त प्रोफेसरों को मार्गदर्शक शिक्षक के रूप में तैनाती की सहमति दी गई है।
आइआइटी के शिक्षक कोर्स वर्क, प्रयोगशाला और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने के लिए कार्य करेंगे और सरकार को आवश्यक सुझाव देंगे। खास तौर से ये शिक्षक नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन से इंजीनियरिंग कालेजों को मूल्यांकन कराने की तैयारियों पर भी कार्य करेंगे।
इस संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह के मुताबिक आइआइटी के विशेषज्ञ इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक संस्थानों में शिक्षण गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही शोध में भी मदद करेंगे। उद्योगों की मांग के अनुरूप नवीनतम तकनीकी क्षेत्रों में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने और स्टार्ट-अप योजनाओं में सुझाव के साथ मार्गदर्शन करेंगे। नवाचार, शोध व सिलेबस में भी आइआइटी की टीम मदद करेगी। सभी संस्थानों में दीक्षा समारोह भी होंगे। तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों के शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा जल्द ही वर्चुअल क्लासेस का भी विस्तार किया जाएगा। राजकीय इंजीनियरिंग कालेज के बेहतर शिक्षक वर्चुअल क्लास के जरिये पॉलीटेक्निक विद्यार्थियों को भी पढ़ाएंगे। सभी इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम भी अनिवार्य रूप से चलाने का निर्देश दिया गया है।