राज्य सरकार पहली से तीसरी कक्षा तक के बच्चों को अक्षर व अंक ज्ञान में दक्ष बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। राज्य सरकार ने अब नर्सरी क्लास को ही स्मार्ट बनाने का फैसला किया है।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा में बड़े बदलाव पर हाल के बिहार दौरे में आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी सहमति दी है। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिया है।
इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा नर्सरी क्लास को ई-लर्निंग सेंटर के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना बनानी शुरु कर दी है। इसके लिए बच्चों के हिसाब से पाठ्यक्रम और स्मार्ट क्लास तैयार होंगे। म्यूजिक रूम और डिजिटल लाइब्रेरी भी होगी। म्यूजिक रूम में वाद्य यंत्र रखे जाएंगे। शैक्षणिक सामग्री व खिलौने उपलब्ध कराए जाएंगे। अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग वर्क बुक होगा। इस कार्ययोजना पर डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च अनुमानित है।
शिक्षा विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों को नर्सरी कक्षा के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया है। आंगनबाड़ी सेविकाओं को बच्चों की देखभाल और पढ़ाने के तौर-तरीकों के बारे में प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य प्रगति पर है। बच्चों में पढने-सीखने पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, ताकि बच्चों को बस्ते का बोझ न ढोना पड़े। तीन से छह आयु-वर्ग के बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा। हर माह बच्चों के मूल्यांकन में भाषाई, बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक, रचनात्मक, सामाजिक व भावात्मक पक्ष का आकलन होगा।
सारस न्यूज एजेंसी, पटना।
राज्य सरकार पहली से तीसरी कक्षा तक के बच्चों को अक्षर व अंक ज्ञान में दक्ष बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। राज्य सरकार ने अब नर्सरी क्लास को ही स्मार्ट बनाने का फैसला किया है।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा में बड़े बदलाव पर हाल के बिहार दौरे में आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी सहमति दी है। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिया है।
इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा नर्सरी क्लास को ई-लर्निंग सेंटर के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना बनानी शुरु कर दी है। इसके लिए बच्चों के हिसाब से पाठ्यक्रम और स्मार्ट क्लास तैयार होंगे। म्यूजिक रूम और डिजिटल लाइब्रेरी भी होगी। म्यूजिक रूम में वाद्य यंत्र रखे जाएंगे। शैक्षणिक सामग्री व खिलौने उपलब्ध कराए जाएंगे। अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग वर्क बुक होगा। इस कार्ययोजना पर डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च अनुमानित है।
शिक्षा विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों को नर्सरी कक्षा के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया है। आंगनबाड़ी सेविकाओं को बच्चों की देखभाल और पढ़ाने के तौर-तरीकों के बारे में प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य प्रगति पर है। बच्चों में पढने-सीखने पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, ताकि बच्चों को बस्ते का बोझ न ढोना पड़े। तीन से छह आयु-वर्ग के बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा। हर माह बच्चों के मूल्यांकन में भाषाई, बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक, रचनात्मक, सामाजिक व भावात्मक पक्ष का आकलन होगा।
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