राज्य सरकार द्वारा बिहार में जाति आधारित गणना कराने के निर्णय को लेकर पटना हाईकोर्ट के समक्ष लोकहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता शशि आनंद ने सरकार द्वारा लिए गए उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसके तहत बिहार सरकार द्वारा आकस्मिकता निधि (कंटीजेंसी फंड) से पांच सौ करोड़ रुपये खर्च करके जाति आधारित गणना करवाने का निर्णय लिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने याचिका द्वारा कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया है कि ऐसा करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 267 (2) के प्रविधानों का उल्लंंघन है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि आकस्मिकता निधि का उपयोग केवल अप्रत्याशित स्थिति में किया जा सकता है। याचिका में राज्यपाल के आदेश से उक्त आशय को लेकर 06 जून 2022 को जारी मेमो नंबर-9077 और राज्य सरकार के उप सचिव के हस्ताक्षर से राज्य मंत्रिपरिषद में 2 जून 2022 को लिए गए निर्णय की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
सारस न्यूज टीम, पटना।
राज्य सरकार द्वारा बिहार में जाति आधारित गणना कराने के निर्णय को लेकर पटना हाईकोर्ट के समक्ष लोकहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता शशि आनंद ने सरकार द्वारा लिए गए उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसके तहत बिहार सरकार द्वारा आकस्मिकता निधि (कंटीजेंसी फंड) से पांच सौ करोड़ रुपये खर्च करके जाति आधारित गणना करवाने का निर्णय लिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने याचिका द्वारा कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया है कि ऐसा करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 267 (2) के प्रविधानों का उल्लंंघन है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि आकस्मिकता निधि का उपयोग केवल अप्रत्याशित स्थिति में किया जा सकता है। याचिका में राज्यपाल के आदेश से उक्त आशय को लेकर 06 जून 2022 को जारी मेमो नंबर-9077 और राज्य सरकार के उप सचिव के हस्ताक्षर से राज्य मंत्रिपरिषद में 2 जून 2022 को लिए गए निर्णय की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
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