राज्य के 81,223 सरकारी विद्यालयों की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फार्मेशन सिस्टम) मैपिंग की जाएगी। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार, शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को इस कार्य की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि यह मैपिंग शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 के मानदंडों के अनुसार होगी। इस प्रक्रिया से भविष्य में बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य है सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समावेशी कक्षा माहौल तैयार करना, बहुभाषी जरूरतों को पूरा करना, और शैक्षिक क्षमताओं के अनुसार पठन-पाठन प्रक्रियाओं और आधारभूत संरचनाओं का विकास करना। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 से सभी राज्यों के सरकारी विद्यालयों के लिए जीआईएस मैपिंग को अनिवार्य किया है, ताकि समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी लाभ प्राप्त किए जा सकें।
शिक्षा विभाग की तैयारी
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, जीआईएस मैपिंग से विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति के आधार पर जानकारी जुटाई जाएगी, जिससे स्कूलों के उन्नयन में सहायता मिलेगी। इसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के शैक्षिक आंकड़े भी एकत्र किए जा सकेंगे। इसमें प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के मानदंडों पर आधारित गांव-टोलों की पहचान की जाएगी। साथ ही, नए विद्यालयों के लिए वैकल्पिक स्थान का पता लगाने में भी यह प्रणाली सहायक होगी।
इस मैपिंग से यह भी जानकारी मिलेगी कि किस विद्यालय में आधारभूत संरचना में कमी है, कहां-कहां शिक्षकों की आवश्यकता है, और किन-किन विद्यालयों में अतिरिक्त सुविधाओं की जरूरत है। इन सभी आंकड़ों का उपयोग समग्र शिक्षा योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए किया जाएगा।
अप्रैल में हुई प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्यालयों की जीआईएस मैपिंग की तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
राज्य के 81,223 सरकारी विद्यालयों की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फार्मेशन सिस्टम) मैपिंग की जाएगी। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार, शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को इस कार्य की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि यह मैपिंग शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 के मानदंडों के अनुसार होगी। इस प्रक्रिया से भविष्य में बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य है सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समावेशी कक्षा माहौल तैयार करना, बहुभाषी जरूरतों को पूरा करना, और शैक्षिक क्षमताओं के अनुसार पठन-पाठन प्रक्रियाओं और आधारभूत संरचनाओं का विकास करना। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 से सभी राज्यों के सरकारी विद्यालयों के लिए जीआईएस मैपिंग को अनिवार्य किया है, ताकि समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी लाभ प्राप्त किए जा सकें।
शिक्षा विभाग की तैयारी
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, जीआईएस मैपिंग से विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति के आधार पर जानकारी जुटाई जाएगी, जिससे स्कूलों के उन्नयन में सहायता मिलेगी। इसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के शैक्षिक आंकड़े भी एकत्र किए जा सकेंगे। इसमें प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के मानदंडों पर आधारित गांव-टोलों की पहचान की जाएगी। साथ ही, नए विद्यालयों के लिए वैकल्पिक स्थान का पता लगाने में भी यह प्रणाली सहायक होगी।
इस मैपिंग से यह भी जानकारी मिलेगी कि किस विद्यालय में आधारभूत संरचना में कमी है, कहां-कहां शिक्षकों की आवश्यकता है, और किन-किन विद्यालयों में अतिरिक्त सुविधाओं की जरूरत है। इन सभी आंकड़ों का उपयोग समग्र शिक्षा योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए किया जाएगा।
अप्रैल में हुई प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्यालयों की जीआईएस मैपिंग की तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे।
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