लोक आस्था के महापर्व छठ का शुभारंभ 28 अक्टूबर से होगा। भगवान सूर्य की उपासना के लिए आयोजित चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। इस साल छठ महापर्व की शुरूआत 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ हो रही है। छठ का व्रत कठिन व्रतों में एक है। छठ के दौरान छठव्रती श्रद्धालु 36 घंटों का निर्जला उपवास रखते हैं। इस दौरान छठ व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उसके बाद पारण किया जाता है। इस साल 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ छठ व्रत की शुरूआत हो जाएगी। नहाय खाय के दिन छठ व्रती सबसे पहले शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान करते करते हैं। उसके बाद घर की अच्छी तरह सफाई की जाती है। नहाय खाय के दिन लगभग छठ व्रतियों के घर चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल प्रसाद के रूप में बनता है। ये प्रसाद शुद्ध तरीके से साफ चूल्हे पर बनाया जाता है।
29 अक्टूबर को खरना है। इस दिन छठ व्रती गुड़ का खीर बनाकर सबसे पहले भगवान को भोग लगाते हैं। उसके बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। छठ पर्व के दौरान साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि खरना के बाद छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस बार 30 अक्टूबर को छठ व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करेंगे। गंगा जल और दूध से अर्घ्य देने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा संतान के अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता के के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है जिसे महिलाओं के साथ ही पुरुष भी रखते हैं। इस बार 31 अक्टूबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। सूर्य की उपासना के बाद छठ व्रतियों का चार दिनों का व्रत का पारण करती हैं और छठ पर्व का समापन हो जाता है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
लोक आस्था के महापर्व छठ का शुभारंभ 28 अक्टूबर से होगा। भगवान सूर्य की उपासना के लिए आयोजित चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। इस साल छठ महापर्व की शुरूआत 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ हो रही है। छठ का व्रत कठिन व्रतों में एक है। छठ के दौरान छठव्रती श्रद्धालु 36 घंटों का निर्जला उपवास रखते हैं। इस दौरान छठ व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उसके बाद पारण किया जाता है। इस साल 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ छठ व्रत की शुरूआत हो जाएगी। नहाय खाय के दिन छठ व्रती सबसे पहले शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान करते करते हैं। उसके बाद घर की अच्छी तरह सफाई की जाती है। नहाय खाय के दिन लगभग छठ व्रतियों के घर चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल प्रसाद के रूप में बनता है। ये प्रसाद शुद्ध तरीके से साफ चूल्हे पर बनाया जाता है।
29 अक्टूबर को खरना है। इस दिन छठ व्रती गुड़ का खीर बनाकर सबसे पहले भगवान को भोग लगाते हैं। उसके बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। छठ पर्व के दौरान साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि खरना के बाद छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस बार 30 अक्टूबर को छठ व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करेंगे। गंगा जल और दूध से अर्घ्य देने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा संतान के अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता के के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है जिसे महिलाओं के साथ ही पुरुष भी रखते हैं। इस बार 31 अक्टूबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। सूर्य की उपासना के बाद छठ व्रतियों का चार दिनों का व्रत का पारण करती हैं और छठ पर्व का समापन हो जाता है।
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