विश्व एड्स दिवस पर विशेष, समझदारी और संयम से संभव है एड्स से सुरक्षा।
लेट कम्युनिटी लीड है इस वर्ष की थीम।
समझदारी और संयम से संभव है एड्स से सुरक्षा।
एचआईवी एक गंभीर बीमारी है जिसका वर्तमान में कोई उपचार उपलब्ध नहीं। इसे आम बोलचाल में एड्स यानि एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम कहा जाता है। एड्स बीमारी के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल विश्व एड्स दिवस दिसंबर माह की पहली तारीख यानि 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस बार विश्व एड्स दिवस की थीम लेट कम्युनिटीज लीड है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि एड्स से प्रभावित लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपनी आवाज उठाने में सक्षम बनें। बीमारी को रोकने के लिए समाज की अहम भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इस थीम को चुना गया है। यह दिन हर उस व्यक्ति को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिसने इस घातक बीमारी के कारण अपनी जान गंवाई है। सदर अस्पताल के सभागार में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम के बारे में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनवर हुसैन ने बताया विश्व एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना होता है। इसके तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई।
चर्चा और जागरूकता से एड्स की समाप्ति संभव: प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अनवर हुसैन ने कहा वो हर चीज जो हमें और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, उसके बारे में हमें चर्चा करनी चाहिए। एड्स बीमारी भी हमें प्रभावित करती है। इससे एक व्यक्ति का जीवन ही नहीं बल्कि उससे संबंधित अन्य लोगों का भी जीवन प्रभावित होता है। व्यक्ति अगर समझदारी का परिचय देता और उसका आचरण संयमित है तो वह स्वयं को एड्स से सुरक्षित रख सकता है। राज्य एड्स नियंत्रण समिति के प्रयासों से राज्य में एड्स पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है लेकिन इसकी चर्चा निरंतर होती रहनी चाहिए। एड्स लाइलाज बीमारी है। जानकारी एवं शिक्षा ही इससे बचाव का सबसे सशक्त जरिया है। सभी गर्भवती माताओं को एड्स की जांच करानी चाहिए। यह सुविधा प्रखंड से लेकर जिला अस्पतालों तक निःशुल्क उपलब्ध है। राज्य सरकार ने 2030 तक राज्य को पूरी तरह से एड्स से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
1097 हेल्पलाइन व ‘हम साथी’ एप से लें जानकारी: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा एचआईवी एड्स हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। हेल्पलाइन नंबर 1097 से एड्स संक्रमण होने के कारणों व बचाव के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इसके साथ ही यदि एड्स की जांच या एड्स संबंधी इलाज सुविधा की भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही ‘हम साथी’ मोबाइल एप डाउनलोड कर एड्स से संबंधित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह मोबाइल एप एड्स के प्रति जागरूकता लाने और बच्चों में मां के माध्यम से एड्स के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराता है।
एचआईवी संक्रमण की जानकारी रखेगा सुरक्षित: सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने कार्यशाला में बताया कि युवाओं में यौन शिक्षा का अभाव एचआईवी संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सीरिंज या सुई का प्रयोग, संक्रमित रक्त आदि के प्रयोग के कारण होता है। वहीं एचआईवी संक्रमित माता से उसकी संतान को भी एचआईवी संक्रमण होता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर देती है। जिससे पीड़ित अन्य घातक बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है। एड्स से बचाव के लिए जीवनसाथी के अलावा किसी से यौन संबंध नहीं बनायें। यौन संपर्क के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें। नशीली दवाइयों के लिए सुई के इस्तेमाल से दूर रहें। एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण से पहले चिकित्सीय सलाह लें। बिना जांच के या अनजान व्यक्ति से रक्त न लें। वहीं डिस्पोजेबल सीरिंज व सुई उपयोग में लायें। दूसरों के प्रयोग में लाये गये ब्लेड, रेजर आदि को इस्तेमाल में नहीं लायें।
एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं समग्र विकास से जुड़ा मामला: प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि एचआईवी एड्स का कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है। जानकारी ही इससे बचाव का जरिया है। एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं बल्कि समग्र विकास से जुड़ा संवेदनशील मामला है। इसलिये इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस सहित संबद्ध अन्य विभागों के बीच परस्पर समन्वय व एकजुट प्रयास जरूरी है। आम लोगों को एचआईवी के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिये जागरूकता संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने के साथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना जरूरी है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
विश्व एड्स दिवस पर विशेष, समझदारी और संयम से संभव है एड्स से सुरक्षा।
लेट कम्युनिटी लीड है इस वर्ष की थीम।
समझदारी और संयम से संभव है एड्स से सुरक्षा।
एचआईवी एक गंभीर बीमारी है जिसका वर्तमान में कोई उपचार उपलब्ध नहीं। इसे आम बोलचाल में एड्स यानि एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम कहा जाता है। एड्स बीमारी के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल विश्व एड्स दिवस दिसंबर माह की पहली तारीख यानि 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस बार विश्व एड्स दिवस की थीम लेट कम्युनिटीज लीड है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि एड्स से प्रभावित लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपनी आवाज उठाने में सक्षम बनें। बीमारी को रोकने के लिए समाज की अहम भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इस थीम को चुना गया है। यह दिन हर उस व्यक्ति को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिसने इस घातक बीमारी के कारण अपनी जान गंवाई है। सदर अस्पताल के सभागार में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम के बारे में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनवर हुसैन ने बताया विश्व एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना होता है। इसके तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई।
चर्चा और जागरूकता से एड्स की समाप्ति संभव: प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अनवर हुसैन ने कहा वो हर चीज जो हमें और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, उसके बारे में हमें चर्चा करनी चाहिए। एड्स बीमारी भी हमें प्रभावित करती है। इससे एक व्यक्ति का जीवन ही नहीं बल्कि उससे संबंधित अन्य लोगों का भी जीवन प्रभावित होता है। व्यक्ति अगर समझदारी का परिचय देता और उसका आचरण संयमित है तो वह स्वयं को एड्स से सुरक्षित रख सकता है। राज्य एड्स नियंत्रण समिति के प्रयासों से राज्य में एड्स पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है लेकिन इसकी चर्चा निरंतर होती रहनी चाहिए। एड्स लाइलाज बीमारी है। जानकारी एवं शिक्षा ही इससे बचाव का सबसे सशक्त जरिया है। सभी गर्भवती माताओं को एड्स की जांच करानी चाहिए। यह सुविधा प्रखंड से लेकर जिला अस्पतालों तक निःशुल्क उपलब्ध है। राज्य सरकार ने 2030 तक राज्य को पूरी तरह से एड्स से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
1097 हेल्पलाइन व ‘हम साथी’ एप से लें जानकारी: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा एचआईवी एड्स हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। हेल्पलाइन नंबर 1097 से एड्स संक्रमण होने के कारणों व बचाव के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इसके साथ ही यदि एड्स की जांच या एड्स संबंधी इलाज सुविधा की भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही ‘हम साथी’ मोबाइल एप डाउनलोड कर एड्स से संबंधित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह मोबाइल एप एड्स के प्रति जागरूकता लाने और बच्चों में मां के माध्यम से एड्स के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराता है।
एचआईवी संक्रमण की जानकारी रखेगा सुरक्षित: सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने कार्यशाला में बताया कि युवाओं में यौन शिक्षा का अभाव एचआईवी संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सीरिंज या सुई का प्रयोग, संक्रमित रक्त आदि के प्रयोग के कारण होता है। वहीं एचआईवी संक्रमित माता से उसकी संतान को भी एचआईवी संक्रमण होता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर देती है। जिससे पीड़ित अन्य घातक बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है। एड्स से बचाव के लिए जीवनसाथी के अलावा किसी से यौन संबंध नहीं बनायें। यौन संपर्क के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें। नशीली दवाइयों के लिए सुई के इस्तेमाल से दूर रहें। एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण से पहले चिकित्सीय सलाह लें। बिना जांच के या अनजान व्यक्ति से रक्त न लें। वहीं डिस्पोजेबल सीरिंज व सुई उपयोग में लायें। दूसरों के प्रयोग में लाये गये ब्लेड, रेजर आदि को इस्तेमाल में नहीं लायें।
एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं समग्र विकास से जुड़ा मामला: प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि एचआईवी एड्स का कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है। जानकारी ही इससे बचाव का जरिया है। एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं बल्कि समग्र विकास से जुड़ा संवेदनशील मामला है। इसलिये इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस सहित संबद्ध अन्य विभागों के बीच परस्पर समन्वय व एकजुट प्रयास जरूरी है। आम लोगों को एचआईवी के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिये जागरूकता संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने के साथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना जरूरी है।