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किशनगंज जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिये निरंतर प्रयास, स्वास्थ्य विभाग द्वारा बैठक आयोजित।

सारस न्यूज टीम, किशनगंज।

जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिये जिलापदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं की गहन समीक्षा हुई। आयोजित बैठक में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण योजनाओं की गहन समीक्षा की गयी। साथ ही योजना के सफल क्रियान्वयन को लेकर निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक बेहतर उपलब्धि को लेकर जरूरी निर्देश दिये गये। बैठक में कोविड टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, एएनसी जांच व बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन पर विशेष जोर दिया गया। साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में जरूरी दवाओं की उपलब्धता व इसके रखरखाव को लेकर कई जरूरी दिशा निर्देश सिविल सर्जन ने संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को दिये। बैठक में ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार यूनिसेफ के एसएमसी सहित सभी पीएचसी प्रभारी बीएचएम व संबंधित अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।

बाढ़ प्रभावित इलाकों पर जरूरी सेवाओं का संचालन रखें जारी।

विगत कई दिनों से लगातार बारिश नही होने के कारण बाढ़ का कहर तो थम गया है लेकिन रिहायशी इलाकों में जलजमाव की वजह से जलजनित बीमारी व संक्रामक रोगों का खतरा काफी बढ़ गया है। इस पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बैठक में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आदेश दिया गया है की वे प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से मेडिकल कैंप का आयोजन के साथ उन इलाकों में संक्रामक रोग के खतरों को कम करने के लिये ब्लीचिंग पाउडर व चूना का छिड़काव लगातार करने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रभावित लोगों के बीच ओआरएस जिंक सहित संबंधित अन्य दवाएं वितरित की जाने की योजना है । साथ ही उन्होंने कहा कि एएनसी जांच व संस्थागत प्रसव में अभी और सुधार की जरूरत है। स्वास्थ्य इकाई जहां बाढ़ की वजह से लोगों की पहुंच सीमित हो चुकी है। उन स्थानों पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित किये जाने को लेकर वैक्लपिक इंतजाम तलाशने का निर्देश दिया।

12 से 14 वर्ष के दुसरे डोज के टीकाकरण में सूबे में प्रथम।

बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की कोरोना टीकाकरण विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसीलिए जिला पुरे सूबे में 12 से 14 वर्ष के दुसरे डोज के टीकाकरण में प्रथम स्थान पर है वही पहले डोज में दुसरे स्थान पर है साथ ही 15 से 17 वर्ष के दुसरे डोज के टीकाकरण में सूबे में 91.8 प्रतिशत के साथ दुसरे स्थान पर है वही जिला पदाधिकारी ने इसमें बिना किसी लापरवाही के उपलब्धियों में सुधार को लेकर उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने हर हाल में निर्धारित रोस्टर के मुताबिक कर्मियों की ड्यूटी का निर्धारण व इसका सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। इमरजेंसी ओपीडी में प्रतिनियुक्त कर्मियों के ड्यूटी रोस्टर का अस्पताल में सार्वजनिक प्रदर्शन सुनिश्चित कराने को कहा।

जरूरी 23 तरह की दवाएं सभी बाढ़ ग्रसित सभी पीएचसी में उपलब्ध हैं।

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि संभावित बाढ़ के खतरों को देखते जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के निर्देश पर पूर्व में ही सभी जरूरी तैयारियां की गयी हैं। प्रभावित इलाकों में बेहतर चिकित्सकीय सेवा बहाल किये जाने को लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। नियमित रूप से इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। जरूरी 23 तरह की दवाएं सभी बाढ़ ग्रसित सभी पीएचसी में उपलब्ध हैं। आशा व एएनएम की मदद से संबंधित क्षेत्र में प्रसव पीड़िता गंभीर रोग से ग्रसित मरीज, बुजुर्ग जिन्हें विशेष चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है। उन्हें चिह्नित किया गया है। अधिकारियों को हर हाल में उन तक जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

स्वास्थ्य अधिकारी अपनायें जवाबदेह व जिम्मेदार रवैया

आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि नर्सिंग स्टॉफ स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं। उनका कुशल व्यवहार, सहानुभूतिपूर्ण रवैया व जरूरी परामर्श से गंभीर रोगी भी जल्द ठीक होते हैं। इसके कई आयाम निर्धारित किये गये हैं। इसमें हर एक व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, समाज व सेवादाता के बीच परस्पर संबंधों की मजबूती सरकारी चिकित्सा संस्थानों के समाज के नजरिये में बदलाव बेहतर कर्मियों को प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाना कर्मियों का क्षमतावर्द्धन व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप उपलब्धि का प्रयास सुनिश्चित कराया जाना है। सबसे जरूरी है कि स्वास्थ्य अधिकारी अपने कार्य व्यवहार में सुधार करते हुए उनके समक्ष नजीर पेश करें। ताकि जमीनी स्तर पर जरूरी सेवा उपलब्ध कराने वाले कर्मियों का मनोबल हमेशा ऊंचा बना रहे। स्वास्थ्य अधिकारियों को ज्यादा जवाबदेह व जिम्मेदार बनना होगा। निर्धारित रोस्टर के मुताबिक ड्यूटी का निर्धारण व बेहतर प्लानिंग के साथ योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करायें।

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