बुधवार को श्वेतांबर जैन समाज का पर्युषण पर्व का शुभारंभ किया गया जो आगामी आठ दिनों तक चलेगा। पर्व की शुरुआत खाद्य संयम दिवस के रूप में हुई। इसी प्रकार आने वाले सात दिनों में अलग-अलग दिवस के रूप में इस पर्व को श्वेतांबर समाज के अनुयायी मनाएंगे। बताते चले कि किशनगंज तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीतश्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में समाज पर्युषण पर्व को मना रहा है। इस पर्व के सभी आठ दिन त्याग, तप, जप, संयम, अहिंसा आदि पर आधारित रहेंगे एवं अंतिम दिवस क्षमा याचना के रूप में होगा। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन को खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर तेरापंथ भवन में एकत्रित समाज को अपने प्रवचन के माध्यम से साध्वी संगीत श्री ने खाद्य संयम को विस्तार से बताते हुए इसपर अमल करने की प्रेरणा दी। साध्वी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा जीवन आशक्त होना चाहिए, संयमित होना चाहिए। आज का यह महान पर्व हमारे लिए संदेश लेकर आता है कि हम जगे रहें, सोएं नहीं। हम आत्मलोचन करें व अपने आपका निरीक्षण-परीक्षण करें। तभी हमारी आत्मा का कल्याण होगा। इसी क्रम में भगवान महावीर के 27 भवों(जन्मों) में 2 भवों का उल्लेख किया। जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से भगवान महावीर की आत्मा नयसार भव में साधु संतों की सेवा करके समयत्व को प्राप्त किया। उन्होंने ओज, रोम व कवल आहार की भी विस्तार से जानकारी दी। वहीं साध्वी शांति प्रभा व कमल विभा ने खाद्य संयम पर विस्तृत जानकारी दी व उपदेश के माध्यम से बताया कि राग द्वेष की ग्रन्थि को मिटानी चाहिए। सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी ने पर्युषण पर्व के शुरू होने पर उपस्थित समाज का स्वागत करते हुए महान पर्व पर धर्म आराधना करने की अनुमोदना की व सभी को जागरुकता से धर्म आराधना करने को कहा।
सारस न्यूज, किशनगंज।
बुधवार को श्वेतांबर जैन समाज का पर्युषण पर्व का शुभारंभ किया गया जो आगामी आठ दिनों तक चलेगा। पर्व की शुरुआत खाद्य संयम दिवस के रूप में हुई। इसी प्रकार आने वाले सात दिनों में अलग-अलग दिवस के रूप में इस पर्व को श्वेतांबर समाज के अनुयायी मनाएंगे। बताते चले कि किशनगंज तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीतश्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में समाज पर्युषण पर्व को मना रहा है। इस पर्व के सभी आठ दिन त्याग, तप, जप, संयम, अहिंसा आदि पर आधारित रहेंगे एवं अंतिम दिवस क्षमा याचना के रूप में होगा। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन को खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर तेरापंथ भवन में एकत्रित समाज को अपने प्रवचन के माध्यम से साध्वी संगीत श्री ने खाद्य संयम को विस्तार से बताते हुए इसपर अमल करने की प्रेरणा दी। साध्वी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा जीवन आशक्त होना चाहिए, संयमित होना चाहिए। आज का यह महान पर्व हमारे लिए संदेश लेकर आता है कि हम जगे रहें, सोएं नहीं। हम आत्मलोचन करें व अपने आपका निरीक्षण-परीक्षण करें। तभी हमारी आत्मा का कल्याण होगा। इसी क्रम में भगवान महावीर के 27 भवों(जन्मों) में 2 भवों का उल्लेख किया। जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से भगवान महावीर की आत्मा नयसार भव में साधु संतों की सेवा करके समयत्व को प्राप्त किया। उन्होंने ओज, रोम व कवल आहार की भी विस्तार से जानकारी दी। वहीं साध्वी शांति प्रभा व कमल विभा ने खाद्य संयम पर विस्तृत जानकारी दी व उपदेश के माध्यम से बताया कि राग द्वेष की ग्रन्थि को मिटानी चाहिए। सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी ने पर्युषण पर्व के शुरू होने पर उपस्थित समाज का स्वागत करते हुए महान पर्व पर धर्म आराधना करने की अनुमोदना की व सभी को जागरुकता से धर्म आराधना करने को कहा।
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