राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
परिवार नियोजन केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के सतत विकास की एक मजबूत आधारशिला है। इसके माध्यम से हम माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और परिवार तथा समाज को आर्थिक रूप से सशक्त व खुशहाल बना सकते हैं। परिवार नियोजन योग्य दंपतियों को अपने जीवन और परिवार के आकार को नियंत्रित करने का अधिकार प्रदान करता है। हमारा उद्देश्य हर दंपति को परिवार नियोजन के साधनों और इसके फायदों के बारे में सही जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि वे जागरूक और जिम्मेदार निर्णय ले सकें। इसके लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों और सहयोगी संस्थाओं का सहयोग आवश्यक है। इसी कड़ी में, परिवार नियोजन कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण और संवेदीकरण के उद्देश्य से किशनगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में डीपिसी विश्वजीत कुमार, पीसीआई के जिला प्रतिनिधि अमलेश कुमार, स्वास्थ्य केंद्र की आशा कार्यकर्ता, पीएचसी के प्रसव कक्ष में कार्यरत जीएनएम और एएनएम, परिवार नियोजन परामर्शी, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया।
नियोजन का सबसे प्रभावी ओर सरल उपाय है पुरुष नसबंदी
सिविल सर्जन ने बताया कि समाज की समृद्धि और खुशहाली के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता आवश्यक है। इससे न केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में सुधार होता है, बल्कि समाज और राष्ट्र का समग्र विकास भी सुनिश्चित होता है। परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई आवश्यक पहल की जा रही हैं। पुरुष नसबंदी और महिला बंध्याकरण स्थायी तौर पर परिवार नियोजन के दो बेहतर विकल्प हैं। वहीं, अंतरा सुई, माला एन गोली, आईयूसीडी, छाया, और कंडोम परिवार नियोजन के अस्थायी विकल्प हैं। उन्होंने पुरुष नसबंदी को स्थायी साधन के रूप में सबसे आसान और सरल बताया। यह बिना किसी चीरे या टांका लगाए संभव है और नसबंदी के आधे घंटे बाद व्यक्ति अपने घर जा सकता है, जिससे उसके रोजमर्रा के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। चिह्नित स्वास्थ्य संस्थानों में पुरुष नसबंदी से जुड़ी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
परिवार की खुशहाली ओर समृद्धि का आधार है परिवार नियोजन
कार्यशाला में महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आशिया नूरी ने कहा कि परिवार नियोजन किसी परिवार की खुशहाली और समृद्धि का आधार है। यह हमें परिवार के आकार को नियंत्रित और सीमित रखने में सक्षम बनाता है और शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से पूरी तरह सक्षम होने के बाद बच्चा प्राप्त करने की स्वतंत्रता देता है। जनसंख्या स्थिरीकरण, मां के बेहतर स्वास्थ्य, और मातृ मृत्यु मामलों को नियंत्रित करने के लिहाज से भी यह अत्यंत उपयोगी है। बच्चों की सेहतमंद जिंदगी और शिशु मृत्यु को नियंत्रित करने के लिए शादी के बाद पहले बच्चे में दो साल की देरी और दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर जरूरी है। परिवार नियोजन के कई विकल्प आज हमारे पास उपलब्ध हैं। परिवार पूरा होने पर नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधनों के उपयोग का विकल्प हमारे पास मौजूद है।