राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
नीमिया: एक गंभीर स्वास्थ्य समस्याजिला पदाधिकारी ने की अभियान की सराहना।
किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित भेबड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत उत्क्रमित मध्य विद्यालय में किशोर-किशोरियों के रक्त की जांच की गई। इस जांच में 7 बच्चों में मध्यम स्तर का एनीमिया पाया गया। यह न केवल बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा बनता है, बल्कि उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास एनीमिया जैसी समस्या से निपटने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एनीमिया: एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि किशोरावस्था में एनीमिया भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। आयरन की कमी के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने से बच्चों में कमजोरी, थकान, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में रुचि की कमी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट जैसी समस्याएं होती हैं।
डॉ. राजेश कुमार ने अभियान को स्वास्थ्य सुधार का बड़ा कदम बताते हुए कहा, “एनीमिया से लड़ने के लिए जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप बेहद जरूरी है। बच्चों को आयरन युक्त आहार जैसे पालक, दालें, गुड़, और फल देने की आदत डालनी चाहिए। इसके अलावा, आयरन फोलिक एसिड की गोलियां नियमित रूप से दी जानी चाहिए। इस अभियान का उद्देश्य किशनगंज जिले के हर बच्चे को स्वस्थ बनाना है।”
जिला पदाधिकारी ने की अभियान की सराहना
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने अभियान की सराहना करते हुए कहा, “एनीमिया मुक्त भारत अभियान हमारे बच्चों के स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के समन्वय से ही इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और उन्हें संतुलित आहार उपलब्ध कराएं।”
उन्होंने नियमित स्वास्थ्य शिविरों, पोषण जागरूकता कार्यक्रम, और स्कूली बच्चों में आयरन की गोलियों के वितरण को समस्या समाधान के लिए आवश्यक बताया।
स्वास्थ्य जागरूकता और सुधार की दिशा में कदम
भेबड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) ऐश्वर्या ने इस शिविर को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा, “ऐश्वर्या ने बच्चों की जांच और उनके अभिभावकों को जागरूक करने में शानदार काम किया है। उनके प्रयासों से एनीमिया की पहचान समय पर हो सकी और बच्चों को सही उपचार मिला।”
यह पहल एनीमिया मुक्त भारत अभियान के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
समाज की जिम्मेदारी
सिविल सर्जन ने बताया कि एनीमिया की समस्या केवल स्वास्थ्य विभाग तक सीमित नहीं है। समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से माता-पिता, शिक्षकों और ग्राम पंचायतों को अपनी भूमिका निभानी होगी। संतुलित आहार, स्वच्छता और स्वास्थ्य पर ध्यान देना ही एनीमिया मुक्त भविष्य की कुंजी है।
