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कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर उचित पोषण के प्रति जागरूकता जरूरी, जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में मनाया गया अन्नप्राशन दिवस।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

सही पोषण और नियमित खानपान की दी गई जानकारी

स्तनपान से होने वाले फायदों पर हुई चर्चा

जिले में कुपोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस क्रम में आज जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अजमल खुर्शीद ने कहा कि पोषण की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए जिले की सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सजग और संकल्पित हैं। जन-जन के सहयोग से पोषण माह का उद्देश्य सफल होगा। इसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण है, जो तभी संभव है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उचित पोषण की जानकारी हो। पोषण माह के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर यह संदेश समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाया जा रहा है।

पोषण के पांच सूत्र कुपोषण मिटाने में होंगे सार्थक

डीपीओ आईसीडीएस अजमल खुर्शीद ने अन्नप्राशन कार्यक्रम के दौरान पोषण के पांच सूत्रों का जिक्र किया। पहले सूत्र के रूप में उन्होंने बच्चे के पहले हजार दिन को महत्वपूर्ण बताया, जिसमें गर्भावस्था के 270 दिन और उसके बाद के 730 दिन शामिल हैं। इन शुरुआती दिनों में बच्चे को सही आहार देना अत्यावश्यक है ताकि उसका मस्तिष्क तेजी से विकास कर सके। छह माह तक केवल मां का दूध ही सबसे पौष्टिक आहार होता है और उसके बाद बच्चे को ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए।

छह माह बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार भी जरूरी

अन्नप्राशन दिवस के अवसर पर दिघलबैंक की महिला पर्यवेक्षिका जूली कुमारी ने आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 171 का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि छह महीने के बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ-साथ अतिरिक्त अनुपूरक आहार देना चाहिए। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है, इसलिए उन्हें इस दौरान अधिक आहार की आवश्यकता होती है।

घर के खाद्य पदार्थों से करें अनुपूरक आहार का निर्माण

जिला समन्वयक मंजूर आलम ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं। साथ ही 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को पूरक आहार की जरूरत के बारे में जागरूक किया गया। बच्चों के लिए अनुपूरक आहार तैयार करने के लिए घर के ही मुख्य खाद्य पदार्थों जैसे सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि का उपयोग कर दलिया बनाया जा सकता है। साथ ही बच्चों की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उनके आहार में घी या तेल मिलाना भी जरूरी है।

शिशुओं के पोषण के लिए ध्यान देने योग्य बातें

  • 6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देना शुरू करें।
  • दिन में 5-6 बार सुपाच्य भोजन दें।
  • अंकुरित अनाज से बने मल्टिंग आहार को शामिल करें।
  • बच्चे द्वारा आहार नहीं खाने की स्थिति में थोड़े-थोड़े हिस्सों में भोजन कराएं।

इस प्रकार के आयोजन कुपोषण से लड़ने और बच्चों को सही पोषण प्रदान करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

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