आशा कार्यकर्ताओं ने ली एनसीडी स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की शपथ
जिले में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का 17वां बैच मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर गैर-संचारी रोग पदाधिकारी (एनसीडीओ) डॉ. उर्मिला कुमारी ने आशा कार्यकर्ताओं को ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। उनकी भूमिका से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का स्तर लगातार सुधर रहा है।”
हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की पहल
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक्स (एनपीसीडीसीएस) के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर और लकवा के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज उपलब्ध कराना है।
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा, “आशा कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में हर परिवार का स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा करने के लिए सी-बैक फॉर्म भरने का निर्देश दिया गया है। इन फॉर्मों को एएनएम द्वारा एनसीडी एप्लीकेशन पर अपलोड किया जाएगा, जिससे इलाज की प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा।”
डिजिटल तकनीक से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को पांच सी-बैक फॉर्म भरने का निर्देश दिया गया। इन फॉर्मों को संबंधित एएनएम द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा। इससे एक एएनएम प्रतिदिन 40-50 फॉर्म ऑनलाइन दर्ज कर सकेगी, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण तेजी से हो सकेगा।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “डिजिटल तकनीक के माध्यम से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी आ रही है। मरीजों का डेटा ऑनलाइन होने से उनकी पहचान और इलाज में देरी नहीं होगी।”
आशाओं की भूमिका: स्वास्थ्य जागरूकता का प्रसार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के दौरान एनसीडी स्क्रीनिंग, परिवार नियोजन, टीकाकरण, एचबीएनसी, टीबी और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित जानकारी दी गई। उन्हें गंभीर बीमारियों के लक्षण पहचानने और मरीजों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक लाने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता से यह मिशन सफल हो रहा है। माइक्रो प्लानिंग और डिजिटल डेटा प्रबंधन से सेवाओं को और प्रभावी बनाया जा रहा है।”
प्रशिक्षण के बाद ग्रामीणों को मिलेगा बेहतर स्वास्थ्य लाभ
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा, “यह प्रशिक्षण आशाओं को सशक्त बना रहा है। वे अब गांवों में जाकर एनसीडी स्क्रीनिंग करने के साथ-साथ लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगी। इससे गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज संभव हो सकेगा।”
स्वास्थ्य जागरूकता का संकल्प
17वें बैच के समापन पर डॉ. उर्मिला कुमारी ने आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “आप सभी फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं, जो निस्वार्थ भाव से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं। नए वर्ष में हमें इस अभियान को और सफल बनाना है, ताकि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें।”
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
आशा कार्यकर्ताओं ने ली एनसीडी स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की शपथ
जिले में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का 17वां बैच मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर गैर-संचारी रोग पदाधिकारी (एनसीडीओ) डॉ. उर्मिला कुमारी ने आशा कार्यकर्ताओं को ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। उनकी भूमिका से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का स्तर लगातार सुधर रहा है।”
हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की पहल
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक्स (एनपीसीडीसीएस) के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर और लकवा के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज उपलब्ध कराना है।
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा, “आशा कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में हर परिवार का स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा करने के लिए सी-बैक फॉर्म भरने का निर्देश दिया गया है। इन फॉर्मों को एएनएम द्वारा एनसीडी एप्लीकेशन पर अपलोड किया जाएगा, जिससे इलाज की प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा।”
डिजिटल तकनीक से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को पांच सी-बैक फॉर्म भरने का निर्देश दिया गया। इन फॉर्मों को संबंधित एएनएम द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा। इससे एक एएनएम प्रतिदिन 40-50 फॉर्म ऑनलाइन दर्ज कर सकेगी, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण तेजी से हो सकेगा।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “डिजिटल तकनीक के माध्यम से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी आ रही है। मरीजों का डेटा ऑनलाइन होने से उनकी पहचान और इलाज में देरी नहीं होगी।”
आशाओं की भूमिका: स्वास्थ्य जागरूकता का प्रसार
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के दौरान एनसीडी स्क्रीनिंग, परिवार नियोजन, टीकाकरण, एचबीएनसी, टीबी और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित जानकारी दी गई। उन्हें गंभीर बीमारियों के लक्षण पहचानने और मरीजों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक लाने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता से यह मिशन सफल हो रहा है। माइक्रो प्लानिंग और डिजिटल डेटा प्रबंधन से सेवाओं को और प्रभावी बनाया जा रहा है।”
प्रशिक्षण के बाद ग्रामीणों को मिलेगा बेहतर स्वास्थ्य लाभ
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा, “यह प्रशिक्षण आशाओं को सशक्त बना रहा है। वे अब गांवों में जाकर एनसीडी स्क्रीनिंग करने के साथ-साथ लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगी। इससे गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज संभव हो सकेगा।”
स्वास्थ्य जागरूकता का संकल्प
17वें बैच के समापन पर डॉ. उर्मिला कुमारी ने आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “आप सभी फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं, जो निस्वार्थ भाव से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं। नए वर्ष में हमें इस अभियान को और सफल बनाना है, ताकि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें।”