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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने बदली तस्वीर, गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

जनवरी से मार्च 2025 के बीच 27 हजार से अधिक बच्चों की हुई जांच, कई गंभीर रोगों की समय रहते पहचान और इलाज

“स्वस्थ बचपन, सुरक्षित भविष्य” के मूलमंत्र के साथ किशनगंज जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) एक सशक्त जनकल्याण अभियान बनकर उभरा है। यह कार्यक्रम न सिर्फ बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच कर रहा है, बल्कि गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान कर उन्हें चिकित्सा सुविधा भी प्रदान कर रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में यह कार्यक्रम बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच बन गया है।

जिले में आरबीएसके की सशक्त मौजूदगी
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी की निगरानी, डीईसी पंकज कुमार शर्मा के समन्वय और जिलाधिकारी विशाल राज के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा किशनगंज जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बच्चों की व्यापक जांच की जा रही है। टीम स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य संस्थानों में जाकर बच्चों की पहचान कर रही है, ताकि बाल्यकाल में ही बीमारियों को रोका जा सके।

एक साल में 52 हजार से अधिक बच्चों की जांच
अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच जिले में कुल 52,624 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई। जांच के दौरान बच्चों में जन्म दोष, पोषण की कमी, सामान्य बीमारियां और विकास में देरी जैसी समस्याएं (4Ds) सामने आईं।

जनवरी-मार्च 2025 की पहली तिमाही का विवरण
साल 2025 की पहली तिमाही में 27,440 बच्चों की जांच की गई, जिनमें शामिल हैं:

  • नवजात शिशु: 3,724
  • आंगनवाड़ी केंद्रों पर: 10,668
  • विद्यालयों में: 13,048

इनमें से अधिकांश बच्चों में त्वचा, दांत और कान से संबंधित समस्याएं पाई गईं। टीमों ने कई मामलों में मौके पर ही इलाज किया, जबकि गंभीर स्थिति वाले बच्चों को उच्च चिकित्सा केंद्रों पर रेफर किया गया।

गंभीर रोगों की समय पर पहचान और इलाज
जनवरी से मार्च 2025 के बीच 262 बच्चों में 4Ds श्रेणी की गंभीर समस्याएं पाई गईं:

  • जन्म दोष: 8
  • कुपोषण: 13
  • अन्य बीमारियां: 210
  • विकास में देरी: 31

इनमें से कुल 467 बच्चों को उपचार उपलब्ध कराया गया, जिनमें से 422 बच्चों का इलाज स्थानीय स्तर पर और 45 को उन्नत संस्थानों में रेफर किया गया।

विशेष मामलों में राहत: बाल हृदय रोग और क्लब फुट
RBSK व PM-JAY योजनाओं के माध्यम से जिले में जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Disease) और क्लब फुट (Club Foot) से पीड़ित बच्चों को मुफ्त इलाज हेतु पटना और अन्य बड़े चिकित्सा केंद्रों में भेजा गया। इससे बच्चों को नया जीवन और उनके परिवारों को आर्थिक राहत मिली।

32 बीमारियों की निःशुल्क स्क्रीनिंग
कार्यक्रम के तहत 32 प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की जाती है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • क्लब फुट
  • कटे होंठ और तालु
  • हृदय में छेद जैसे जन्मजात दोष

इस वर्ष कई बच्चों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन और इलाज किया गया है।

ब्लॉक स्तर पर ठाकुरगंज और दिघलबैंक रहे अग्रणी

  • ठाकुरगंज: 17,253 बच्चों की जांच, 26 में जन्म दोष पाए गए
  • दिघलबैंक: 6,162 बच्चों की जांच, 208 रोगों की पहचान
  • किशनगंज मुख्यालय: 4,181 बच्चों की जांच, 575 को मौके पर उपचार मिला

इन ब्लॉकों में मेडिकल हेल्थ टीम (MHT) की सक्रियता ने समय रहते कई बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद की।

कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में सप्लीमेंट टैबलेट का योगदान
RBSK की टीमों ने पोषण की कमी वाले बच्चों को आयरन और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट प्रदान किए। इसके साथ ही स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा से बच्चों में जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है।

प्रशासनिक प्रयासों से बदल रही तस्वीर
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि यह सफलता प्रशासनिक सहयोग, मेडिकल टीमों की मेहनत और जन-जागरूकता का परिणाम है। यह कार्यक्रम सिर्फ जांच और इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में सरकार की मजबूत पहल है।

निष्कर्ष
किशनगंज जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक सामाजिक सुरक्षा कवच के रूप में उभर रहा है। यह न केवल बच्चों की समय पर जांच और इलाज सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि उन्हें जीवन की सही शुरुआत और बेहतर भविष्य की दिशा में अग्रसर कर रहा है। बिहार के अन्य जिलों के लिए यह मॉडल प्रेरणा बन सकता है।


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